कांग्रेस पार्टी ओड़िसा में नए सिरे से सक्रिय हो गई दिखती है। 24 साल के बाद बीजू जनता दल के चुनाव हारने और नवीन पटनायक की सेहत को देखते हुए कांग्रेस को लग रहा है कि बीजद का भविष्य अच्छा नहीं है और कांग्रेस उसकी जगह ले सकती है। आखिर उसने कांग्रेस की ही जगह ली है। तभी कांग्रेस लगातार जमीन पर सक्रिय बनी हुई है। कांग्रेस का प्रयास हालांकि पहले वाला ही है। उसको यह साबित करना है कि नवीन पटनायक और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व में मिलीभगत है। कांग्रेस यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि ओडिशा में भाजपा और बीजद एक साथ हैं। इस बात को एक्सपोज करने के लिए कांग्रेस ने ओडिशा विधानसभा में राज्य की भाजपा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया। यह औपचारिकता है लेकिन इससे राजनीति दिलचस्प हो गई है।
कांग्रेस ने विधानसभा स्पीकर को अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस देने के बाद इस पर कैम्पेन शुरू कर दिया। कांग्रेस के नेता विधानसभा भवन में बने बीजू जनता दल के कार्यालय में पहुंच गए और नवीन पटनायक से मुलाकात की मांग करने लगे। हालांकि नवीन पटनायक वहां नहीं थे तो मुलाकात नहीं हूई। लेकिन कांग्रेस यह दिखाना चाह रही है कि विपक्षी पार्टी के नाते उसने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है और मुख्य विपक्षी पार्टी बीजद को साथ लेकर भाजपा को घेरने चाहती है। कांग्रेस की कोशिश यह दिखाने की है कि बीजद के कारण उसका अविश्वास प्रस्ताव फेल हो गया और इस तरह बीजद और भाजपा मिले हुए हैं। गौरतलब है कि 147 ओडिशा विधानसभा में कांग्रेस के महज 14 विधायक हैं। और उसे सीपीएम के एक विधायक का समर्थन है। दूसरी ओर भाजपा के 78 विधायक हैं और उसे तीन निर्दलीय विधायकों का समर्थन है। सो, सरकार 81 सदस्यों के बहुत आरामदेह बहुमत के साथ है। बीजद और कांग्रेस मिल कर सरकार को नुकसान नहीं पहुंचा सकते हैं।