कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के सांसद डीवी सदानंद गौड़ा ने राजनीति से संन्यास का ऐलान कर दिया है। जानकार सूत्रों का कहना है कि अगले लोकसभा चुनाव में बेइज्जती से बचने के लिए उन्होंने पहले ही संन्यास का ऐलान कर दिया। बताया जा रहा है कि पार्टी उनको अगले चुनाव में लोकसभा की टिकट नहीं देने वाली थी। उनको इसका अंदाजा हो गया था। असल में पिछले आठ-नौ साल में उनका कद जिस तेजी से कम होता गया है वह हैरान करने वाला है।
वे 2011 में बीएस येदियुरप्पा के हटने पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने थे। हालांकि एक साल बाद ही वे हट गए लेकिन 2013 में जब भाजपा हारी तो वे नेता विपक्ष बने। 2014 में सांसद बन कर दिल्ली पहुंचने पर वे रेल मंत्री बनाए गए और उसके बाद कानून व न्याय मंत्री रहे। लेकिन उसके बाद उनको सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियन्वयन मंत्रालय में भेज दिया गया। अगली बार यानी 2019 में तो वे मंत्री भी नहीं बन पाए। अब कहा जा रहा है कि भाजपा ने बसवराज बोम्मई के रूप में दूसरा वोक्कालिगा नेता तैयार कर लिया है और इस बार लोकसभा चुनाव में सबसे बड़े वोक्कालिगा नेता एचडी देवगौड़ा की पार्टी के साथ भाजपा का तालमेल हो गया है इसलिए उसे सदानंद गौड़ा की जरूरत नहीं है। वे अभी 70 साल के हैं और एक चुनाव लड़ सकते थे लेकिन बताया जा रहा है कि टिकट नहीं मिलने की आशंका के चलते उन्होंने संन्यास का ऐलान कर दिया है।