मुख्यमंत्री रहते अरविंद केजरीवाल ने अपने रहने के लिए दिल्ली सरकार के कोटे के सबसे बड़े बंगलों में से एक छह, फ्लैग स्टाफ रोड को चुना। काफी तलाश के बाद उसे चुना गया। उसके बाद बंगले के रेनोवेशन का सात करोड़ रुपए का एक प्लान बना, जो अंत में बढ़ते बढ़ते 33 करोड़ रुपए तक पहुंच गया। भारत के नियंत्रक व महालेखापरीक्षक यानी सीएजी की एक रिपोर्ट में मीडिया में आई है, जिसके मुताबिक इस बंगले के रेनोवेशन पर कम से कम 33 करोड़ रुपया खर्च हुआ है। पहले खबर आई थी कि 50 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हुआ है। कोरोना महामारी के समय इसे अतिआवश्यक काम बता कर रेनोवेशन जारी रखा गया था। जिस दिन से इस बंगले के रेनोवेशन पर करोड़ों रुपए खर्च करने की खबरें आई हैं उस दिन से आम आदमी पार्टी ने इस पर स्पष्टीकऱण देने की बजाय सारे वह काम किए हैं, जिसका मकसद इस पर से ध्यान हटाना है। अगर ये खबरें गलत हैं तो आम आदमी पार्टी और राज्य की उसकी सरकार को भी सामने आकर कहना चाहिए कि खबर गलत है। इतना पैसा खर्च नहीं हुआ है और सरकारी खर्च का ब्योरा पेश कर देना चाहिए। बता देना चाहिए कि कितना रुपया खर्च हुआ है।
लेकिन हैरानी की बात है कि जो काम सबसे पहले किया जाना चाहिए वह काम अभी तक आप ने नहीं किया है। इसका सीधा मतलब है कि आरोप सही हैं। बंगले के रेनोवेशन पर करोड़ों रुपए खर्च हुए हैं। इस पर से ध्यान हटाने के लिए आप के नेता सीनाजोरी पर उतर आए हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री के लिए बन रहे पीएम एन्क्लेव की ओर मार्च किया और कहा कि प्रधानमंत्री के लिए 27 सौ करोड़ रुपए में ‘राजमहल’ बन रहा है। प्रधानमंत्री का नया निवास बन रहा है इस बात पर पिछले चार साल से विवाद चल रहा है। तमाम विपक्षी पार्टियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस पर सवाल उठाए। संसद भवन से लेकर वाइस प्रेसिडेंट एन्क्लेव के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को लेकर कई बार विरोध हुए हैं। इसलिए केजरीवाल के ‘शीशमहल’ विवाद के मुकाबले उस विवाद को लाने का कोई खास मतलब नहीं है।
‘शीशमहल’ बनाम ‘राजमहल’ विवाद का कोई मतलब इसलिए भी नहीं है कि नरेंद्र मोदी ने कभी नहीं कहा कि वे प्रधानमंत्री बनेंगे तो बंगला नहीं लेंगे। लेकिन केजरीवाल ने दसों बार कहा था कि वे जीतेंगे तो उनकी पार्टी का कोई नेता बंगला नहीं लेंगा। गाड़ी नहीं लेंगे। सुरक्षा नहीं लेंगे। आप के नेताओं ने पता नहीं कहां से यह आंकड़ा बताया कि प्रधानमंत्री के पास 67 सौ जोड़ी जूते और पांच हजार जोड़ी कपड़े हैं। लेकिन अगर हैं भी तो वह दिखता है क्योंकि प्रधानमंत्री हमेशा अच्छे कपड़ों में सामने आते हैं। परंतु केजरीवाल तो आज भी वही नीले रंग की ढीली ढाली कमीज और पैंट पहन कर सामने आते हैं, जबकि उनके साथ गाड़ियों का काफिला चलता है, दो राज्यों की पुलिस सुरक्षा में रहती है, करोड़ों रुपए के बंगले में रहते हैं और एक रिपोर्ट के मुताबिक उनके छह लोगों के परिवार की देखरेख के लिए 28 कर्मचारियों का स्टाफ लगा रहता है! मोदी के रहन सहन या पहनावे की जो बातें हैं वह दिखती हैं लेकिन केजरीवाल कहते कुछ और हैं, दिखते कुछ और हैं और असल में हैं कुछ और! यह पोल खुलने लगी है तो पार्टी सीनाजोरी पर उतर आई है।