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01-08-2025 Vol 19

लगाम तो जरूरी है

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शिक्षा और स्वास्थ्य सार्वजनिक सेवाएं हैं। इसीलिए उनसे जुड़ी संस्थाओं को सरकार से तमाम तरह की सुविधाएं एवं रियायतें मिलती हैं। तो सरकारों को यह वैधानिक एवं नैतिक अधिकार है कि वे इन संस्थानों के संचालन में हस्तक्षेप करें।

हालांकि इस पर अमल संबंधी दिक्कतें कम नहीं है, फिर भी कहा जाएगा कि दिल्ली की रेखा गुप्ता सरकार ने स्वागतयोग्य और साहसी कदम उठाया है। दिल्ली मंत्रिमंडल ने ऐसे विधेयक को मंजूरी दी है, जिसका मकसद स्कूलों में फीस ढांचे को विनियमित करना है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का यह कथन उचित है कि पिछली आम आदमी पार्टी सरकार ने फीस में मनमानी बढ़ोतरी को रोकने के कोई प्रावधान तय नहीं किए। यह सच है कि पिछली सरकार ने फीस बढ़ोतरी के फैसलों में हस्तक्षेप किया और कई बार फीस बढ़ोतरी पर रोक भी लगाई, मगर इस संबंध में तब कोई कानून नहीं बनाया गया। अब भाजपा सरकार ने ये पहल की है।

शिक्षा बिल से फीस पर लगाम संभव

प्रस्तावित बिल में तीन स्तरों पर समितियों के गठन का प्रावधान है। ये समितियां स्कूल, जिला और राज्य स्तर पर बनेंगी, जो फीस का ढांचा तय करेंगी। स्कूल स्तर की समिति 18 पैमानों को ध्यान में रखते हुए अपेक्षित फीस का प्रस्ताव करेगी। जिला स्तर की समिति के पास से गुजरते हुए प्रस्ताव राज्य समिति के पास जाएंगे, जो इस मामले में अंतिम फैसला लेगी। अगर यह ढांचा सचमुच स्थापित होता है, तो फीस तय करने की प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी। लेकिन यह ‘अगर’ बहुत बड़ा है। इसलिए कि शिक्षा को कारोबार बनाए रखने के साथ बड़े-बड़े निहित स्वार्थ जुड़े रहे हैं, जिनकी मिलीभगत राजनेताओं से रही है।

इसलिए ये सवाल अहम है कि क्या रेखा गुप्ता सरकार उन तमाम निहित स्वार्थों से अप्रभावित रहते हुए इस बिल को पारित कराते हुए इसे लागू कर पाएगी? वैसे ऐसा करने के लिए उसके पास ठोस तर्क हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य सार्वजनिक सेवाएं हैं। इसीलिए इन्हें उपलब्ध कराने वाले समूहों को सरकार से तमाम तरह की सुविधाएं एवं रियायतें मिलती हैं।

इससे सरकारों को यह वैधानिक एवं नैतिक अधिकार मिलता है कि वे ऐसे संस्थानों के संचालन में हस्तक्षेप कर पाएं। इन अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए दिल्ली सरकार सचमुच ऐसे  हस्तक्षेप का कानूनी ढांचा अमल में ला पाई, तो सारे देश के लिए मिसाल कायम हो सकता है। संभव है तब ऐसे कानून की मांग अन्य राज्यों में भी उठे।

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Pic Credit: ANI

NI Political Desk

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