भारत में चिड़ियाघर सरकारी होते हैं। जंगली जानवरों और संरक्षित पशुओं की देखभाल करना या उनकी प्रदर्शनी लगाना सरकार के जिम्मे होता है। गुजरात के जामनगर में अंबानी परिवार का वनतारा प्रोजेक्ट एक अपवाद है। हजारों एकड़ जमीन में अंबानी परिवार ने अपना निजी चिड़ियाघर बना रखा है। जैसे पश्चिम एशिया और खाड़ी के देशों में शेख लोग शौक से चीता, बाघ, शेर आदि पालते हैं वैसे वहां अंबानी परिवार ने तमाम जंगली जानवर पाले हुए हैं। अपने खास खास मेहमानों के लिए वे उनकी प्रदर्शनी लगाते हैं। कहा जाता है कि इन सबको बचाया गया है और वहां संरक्षित किया गया है। पता नहीं हकीकत क्या है? मामला अंबानी परिवार है तो कौन पता लगाए! दिल्ली के नामचीन पत्रकार तो वनतारा के हाथी के खाने पर कई कई दिन के कार्यक्रम बना चुके हैं।
बहरहाल, पिछले दिनों खबर आई कि दिल्ली में सुंदर नगर में स्थित चिड़ियाघर भी अंबानी परिवार को सौंपा जा रहा है। वनतारा प्रोजेक्ट के हाथों यह जू सौंप दिए जाने की खबर के साथ साथ इसके लिए हुए करार की कॉपी भी वायरल हुई। कांग्रेस ने भी यह मुद्दा उठाया। इसके जवाब में वन व पर्यावरण मंत्रालय की ओर से कहा गया कि दिल्ली का चिड़ियाघर वनतारा प्रोजेक्ट को नहीं दिया गया है। उसके साथ सिर्फ एक करार हुआ है, जिसमें नॉलेज शेयरिंग और दूसरी कुछ चीजों की साझेदारी होगी। अब सवाल है कि इतना पुराना दिल्ली का चिड़ियाघर और देश के दूसरे हिस्सों में बने अनेक जू चलाने वाली सरकार ने कैसे काम किया कि उसे एक शौकिया निजी चिड़ियाघर के साथ करार करना पड़े? कायदे से तो सरकारी जू के लोग निजी वाले को सिखाते लेकिन यहां उलटा हो रहा है।