भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर मणिपुर में सरकार बनाने की कवायद कर रही है। इस बार की कवायद को सीरियस बताया जा रहा है क्योंकि इस बार भाजपा के संगठन महामंत्री बीएल संतोष खुद मणिपुर गए थे। उनके साथ पूर्वोत्तर में भाजपा का काम संभाल रहे लोकसभा सांसद संबित पात्रा भी मणिपुर गए थे। गौरतलब है कि इस साल के शुरू से मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है और विधानसभा निलंबित रखी गई है। लेकिन एक तो विधानसभा अनंतकाल तक निलंबित नहीं रखी जा सकती है और दूसरे डेढ़ साल के बाद विधानसभा का चुनाव होने वाला है।
तभी भाजपा के नेता इस बात को लेकर परेशान हैं कि वे चुनाव की तैयारी करें या सरकार गठन का इंतजार करें? पूर्व केंद्रीय गृह सचिव अझय भल्ला राज्य के राज्यपाल हैं। राष्ट्रपति शासन लागू करने और उसके बाद हुए कई समझौतों के कारण राज्य में शांति बहाल हो गई है। लेकिन ऐसा लग रहा है कि केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी दोनों कोई जोखिम नहीं लेना चाहते। एक तो भाजपा में कई खेमे बन गए हैं, जो मुख्यमंत्री पद की दावेदारी कर रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह अपना दावा छोड़ने को तैयार नहीं हैं। लोकसभा चुनाव में दोनों सीटों पर हार जाने के कारण भाजपा चुनाव को लेकर चिंता में है। जानकार सूत्रों का कहना है कि अगर सरकार बनाने की संभावना दिखती है तो एक महीने के अंदर सरकार गठन हो जाएगा। अगर सरकार बनने की संभावना नहीं दिखती है या सरकार बनाना नुकसानदेह लगता है तो विधानसभा भंग हो जाएगी और अगले साल असम के साथ मणिपुर में भी चुनाव हो जाएगा।


