यह लाख टके का सवाल है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा के जो सांसद जीत गए हैं या जो हार गए हैं उनका क्या होगा? भाजपा ने तीन राज्यों- मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और राजस्थान में 21 सांसदों को चुनाव में उतारा था। मध्य प्रदेश और राजस्थान में पार्टी ने सात-सात सांसदों को टिकट दी थी। तेलंगाना में तीन और छत्तीसगढ़ में चार सांसद चुनाव में उतारे थे। इन 21 में सिर्फ 12 ही सांसद चुनाव जीत पाए। नौ सांसद अपने ही संसदीय क्षेत्र की एक विधानसभा सीट से चुनाव नहीं जीत पाए। भाजपा के हारे हुए दिग्गज सांसदों में एक केंद्रीय मंत्री भी हैं। मध्य प्रदेश में पार्टी ने केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को चुनाव लड़ाया था लेकिन वे हार गए। बाकी दो केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और प्रहलाद पटेल जीत गए।
अब सवाल है कि जीते हुए ये दोनों मंत्री क्या करेंगे? ज्यादा संभावना इस बात की है कि वे विधानसभा सीट से इस्तीफा देंगे। उनके चुनाव लड़ने का मकसद पूरा हो गया है। भाजपा को इतना प्रचंड बहुमत मध्य प्रदेश में मिला है कि उसे जीते हुए मंत्रियों या सांसदों के विधानसभा से इस्तीफा देने से फर्क नहीं पड़ेगा। यह स्थिति तीनों राज्यों में है। तेलंगाना में भाजापा के तीन में से कोई सांसद विधानसभा का चुनाव नहीं जीत पाया। मध्य प्रदेश में एक केंद्रीय मंत्री और एक सांसद हार गए। राजस्थान में चार में से तीन सांसद चुनाव हार गए, जबकि छत्तीसगढ़ में चार में से एक सांसद हारे। अगर पुरानी राजनीतिक नैतिकता रहती तो लोकसभा सांसद या केंद्रीय मंत्री के विधानसभा चुनाव हारने के बाद उसका इस्तीफा होना चाहिए था। लेकिन अब भारत की राजनीति में ऐसा नहीं होता है। अब सबकी दिलचस्पी सिर्फ इस बात में है कि चुनाव जीते किसी सांसद को राज्य सरकार में कोई भूमिका मिलती है या नहीं।