पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया समाप्त होने वाली है। तेलंगाना आखिरी राज्य है, जहां गुरुवार को मतदान होगा और तीन दिसंबर यानी रविवार को नतीजे आएंगे। तेलंगाना में प्रचार समाप्त कर दिल्ली लौटे कांग्रेस के एक जानकार नेता का कहना है कि अब विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की गाड़ी आगे बढ़ेगी। जल्दी ही विपक्षी नेताओं की बैठक होगी, जिसमें आगे की रूप-रेख तैयार होगी। हालांकि इतना दावा करने वाले नेता भी कोई टाइमलाइन देने की स्थिति में नहीं थे। इस बीच विपक्षी पार्टियों की राजनीति से जुड़े एक दूसरे जानकार नेता ने कहा कि दिसंबर में कोई खास तरक्की नहीं होने वाली है क्योंकि चार दिसंबर से संसद का शीतकालीन सत्र है और फिर क्रिसमस और न्यू ईयर है। इसलिए अब जो होना है वह नए साल में ही होगा।
गौरतलब है कि विपक्षी पार्टियों के गठबंधन की आखिरी बैठक 31 अगस्त और एक सितंबर को मुंबई में हुई थी। उसमें 13 सदस्यों की एक समन्वय समिति बनी थी, जिसकी पहली और अभी तक की एकमात्र बैठक 13 सितंबर को दिल्ली में एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार के घर पर हुई। उस बैठक में तय हुआ था कि भोपाल में सभी पार्टियों की साझा रैली होगी लेकिन थोड़े दिन के बाद मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ ने प्रेस कांफ्रेंस करके ऐलान कर दिया कि भोपाल में कोई रैली नहीं होगी। उसके बाद चौतरफा सन्नाटा छा गया। कांग्रेस पार्टी के नेता पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में बिजी हो गए तो बाकी घटक दल चुपचाप अपने अपने असर वाले राज्य में चुनावी तैयारी में लग गए।
बताया जा रहा है कि चुनाव प्रक्रिया सम्पन्न होने के बाद विपक्षी पार्टियों की बैठक होगी। लेकिन वह राजनीतिक बैठक नहीं होगी। क्योंकि तीन दिसंबर को जिस दिन पांच राज्यों के चुनाव नतीजे आएंगे, उसके अगले दिन से संसद सत्र शुरू हो रहा है। सो, विपक्षी पार्टियों की बैठक होगी, लेकिन उसमें संसद सत्र की रणनीति बनेगी। तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा की सदस्यता खत्म करने के मामले से लेकर कांग्रेस से जुड़े नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों को जब्त करने और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के बिल से लेकर तीन आपराधिक कानूनों में बदलाव के बिल पर विपक्षी पार्टियों की रणनीति तय होगी।
संसद सत्र के बीच विपक्षी पार्टियों की न तो बैठक हो सकती है और न साझा रैली हो सकती है। हां, यह संभव है कि दिल्ली में संसद सत्र के दौरान ‘इंडिया’ की समन्वय समिति की दूसरी बैठक हो। उसका भी एजेंडा कोई बहुत बड़ा नहीं होगा लेकिन हो सकता है कि टिकट बंटवारे को लेकर कुछ बातचीत हो और साझा रैली के लिए तारीख और जगह तय की जाए। बताया जा रहा है कि कोई भी साझा रैली और विपक्षी गठबंधन की बैठक अब 14 जनवरी यानी मकर संक्रांति के बाद ही होगी। विपक्षी पार्टियों की राजनीति कैसे आगे बढ़ेगी उसमें यह भी अहम है कि तीन दिसंबर को पांच राज्यों के नतीजे कैसे आते हैं। अगर कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा तो विपक्षी गठबंधन का पूरा डायनेमिक्स बदल जाएगा। फिर ‘इंडिया’ की राजनीति भी वैसे ही चलेग, जैसी एनडीए की चल रही है।