विपक्षी गठबंधन के भीतर कई नए गठबंधन बन गए हैं। कई पार्टियों ने उप समूह बना लिए हैं, जिनको लेकर कांग्रेस में चिंता बढ़ी है। कांग्रेस के एक जानकार नेता का कहना है कि डीएमके और समाजवादी पार्टी की राजनीति चौंकाने वाली है। डीएमके ने चेन्नई में पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत वीपी सिंह की मूर्ति लगाई तो उसके अनावरण के मौके पर उनके परिजनों के साथ साथ समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को बुलाया। उससे तमिलनाडु में डीएमके को कितना फायदा होगा यह नहीं कहा जा सकता है लेकिन उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को बड़ा फायदा हो सकता है।
गौरतलब है कि सपा और कांग्रेस के बीच अभी संबंध अच्छे नही हैं। मध्य प्रदेश में सीट नहीं मिलने से नाराज सपा ने कई बार तीखी टिप्पणी की है। ऊपर से सपा को अपने मुस्लिम-यादव वोट बैंक में कोई नया वोट जोड़ना है। सो, वीपी सिंह के जरिए वह अन्य पिछड़ी जातियों के कुछ वोट हासिल कर सकती है। योगी आदित्यनाथ के रहते ठाकुर वोट देंगे इसकी संभावना कुछ कम है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस नहीं चाहती थी कि सपा को किसी तरह का समर्थन मिले। गौरतलब है कि कांग्रेस वीपी सिंह के प्रतिमा के अनावरण के कार्यक्रम में नहीं शामिल हुई थी।
बहरहाल, डीएमके और सपा के नजदीकी के अलावा कई और पार्टियां हैं, जो विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ का हिस्सा हैं और साथ ही अपना अलग उप समूह भी बनाया है। इसमें बिहार की दोनों बड़ी प्रादेशिक पार्टियों राजद और जदयू को लेकर कांग्रेस में चिंता है। लालू प्रसाद और नीतीश कुमार के बीच बड़े भाई और छोटे भाई का संबंध बहुत प्रगाढ़ हो गया है और दोनों ने कांग्रेस को किनारे किया है। कांग्रेस कोटे के मंत्री नहीं बनाए जा रहे हैं तो सीटों के बंटवारे में भी दोनों पार्टियां 16-16 सीटों का बंटवारा करके बैठी हैं। कांग्रेस को तीन या चार सीटों पर निपटाने का प्रयास चल रहा है। दूसरी ओर कांग्रेस कम से कम आठ सीटों पर दावा कर रही है। प्रदेश में राजनीतिक मैसेज भी सिर्फ राजद और जदयू का ही बन रहा है। जाति गणना कराने और आरक्षण बढ़ाने की पूरी प्रक्रिया में कांग्रेस कहीं नहीं दिख रही है।
उधर महाराष्ट्र में भी शिव सेना के उद्धव ठाकरे गुट और एनसीपी के शरद पवार गुट के बीच तालमेल बना है। पहले से दोनों नेताओं के बीच पारिवारिक संबंध रहे हैं। उद्धव और शरद पवार ने मिल कर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले को अलग थलग किया है। कांग्रेस के बाकी नेता इस पर चुप हैं लेकिन नाना पटोले इसे लेकर बहुत मुखर हैं। वे कांग्रेस को अपने दम पर खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि उद्धव और शरद पवार आपस में सीट बंटवारे की बात भी कर रहे हैं। यही स्थिति वाम मोर्चे की पार्टियों के बीच है। वाम मोर्चे की पार्टियां कांग्रेस को छोड़ कर अपना सीट बंटवारा कर रही हैं। झारखंड में हेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा और पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस भी कांग्रेस को छोड़ कर स्वतंत्र रूप से राजनीति कर रहे हैं।