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बीएमसी में दो साल से चुनाव नहीं

देश के सबसे अमीर नगर निगम यानी बृहन्नमुंबई महानगर निगम, बीएमसी का चुनाव दो साल से नहीं हुआ है। दो साल पहले तक शिव सेना का मेयर था और पिछले 25 साल के नगर निगम पर शिव सेना का कब्जा बना हुआ था। पिछले चुनाव में भाजपा काफी नजदीकी नंबर दो थी लेकिन वह शिव सेना का वर्चस्व खत्म नहीं कर सकी। तभी ऐसा लग रहा है कि चुनावी तरीके से नहीं तो प्रशासनिक तरीके से भाजपा और शिव सेना के एकनाथ शिंदे गुट ने बीएमसी  पर कब्जा कर लिया है। दो साल से चुनाव नहीं हो रहे हैं और निगम से जुड़े सारे फैसले राज्य सरकार के हिसाब से हो रहे हैं। वैसे कई और बड़े शहरों में निगम के चुनाव रूके हुए हैं लेकिन बीएमसी की बात अलग है।

बीएमसी में यह व्यवस्था बनाई गई है कि बीएमसी के नहीं होने पर बीएमसी का फंड राज्य सरकार विधायकों के हिसाब से खर्च करेगी। गौरतलब है कि मुंबई महानगर में विधानसभा की 36 सीटें हैं, जिनमें से 20 सीटें सत्तारूढ़ गठबंधन के पास हैं। शिव सेना के उद्धव ठाकरे गुट के पास नौ, कांग्रेस की चार और शरद पवार व सपा की एक-एक सीटें हैं। लेकिन पिछले दो साल से विपक्ष के 15 विधायकों ने अपने क्षेत्र में विकास के कार्यों के लिए फंड का आवेदन नहीं किया है और न बीएमसी के फंड से कोई विकास कार्य किया है। बहरहाल, सबके लिए यह यक्ष प्रश्न की तरह है कि एक साथ पूरे देश का चुनाव कराने की तैयारी कर रही केंद्र सरकार लोकसभा के साथ महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव कराती है या नहीं या महाराष्ट्र विधानसभा के साथ बीएमसी के चुनाव होते हैं या नहीं।

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