अगले लोकसभा चुनाव के लिए जाति गणना और आरक्षण बढ़ाने के मुद्दों और हिंदुत्व, राष्ट्रवाद और मजबूत व निर्णायक नेतृत्व के मुद्दों के साथ साथ एक बड़ा मुद्दा पुरानी पेंशन योजना का होने वाला है। कई राज्यों में यह बड़ा मुद्दा बना है। राजस्थान में कांग्रेस अगर पांच साल सत्ता चलाने के बाद भी भाजपा को टक्कर दे रही है तो उसमें बड़ा हाथ पुरानी पेंशन योजना का है, जिसे राज्य सरकार ने बहाल कर दिया है। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की जीत में इस मुद्दे का बड़ा योगदान है। कांग्रेस और कई दूसरी विपक्षी पार्टियों की सरकारों ने पुरानी पेंशन योजना लागू कर दी है या सरकार बनने पर लागू करने का वादा किया है। इस बीच केंद्रीय कर्मचारियों के संगठन इस पर बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं।
पिछले दो-तीन महीने में केंद्रीय कर्मचारी और देश भर के सरकारी कर्मचारियों ने दिल्ली के रामलीला मैदान में पुरानी पेंशन योजना की बहाली को लेकर दो बड़े प्रदर्शन किए। इन प्रदर्शनों में बड़ी संख्या में कर्मचारी शामिल हुए। अब बताया जा रहा है कि केंद्रीय कर्मचारी पूरे देश में हड़ताल की तैयारी कर रहे हैं। इसमें रेलवे के भी 13 लाख कर्मचारियों के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। केंद्रीय कर्मचारियों के संगठनों की बैठकें हो रही हैं। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया समाप्त होने और लोकसभा चुनाव की घोषणा के बीच किसी समय उनका आंदोलन शुरू होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि केंद्र सरकार इस पर क्या रुख दिखाती है।