बहुजन समाज पार्टी के नेता दावा कर रहे हैं कि हरियाणा में उसका प्रदर्शन पहले से सुधरा है। इतना ही नहीं इस कथित सुधरे हुए प्रदर्शन का श्रेय पार्टी सुप्रीमो मायावती के भतीजे आकाश आनंद को दिया जा रहा है। गौरतलब है कि इस बार मायावती ने भी हरियाणा में प्रचार किया लेकिन आकाश आनंद हर जगह उनके साथ रहे और उनसे अलग भी उन्होंने रैलियां कीं। राष्ट्रीय स्तर पर आकाश आनंद को बड़ी जिम्मेदारी मिलने और मायावती का उत्तराधिकारी घोषित होने के बाद यह पहला चुनाव था। इसमें उन्होंने मेहनत भी खूब की। लेकिन बसपा जो दावा कर रही है उस दावे में कोई खास दम नहीं है।
हकीकत यह है कि बसपा के प्रदर्शन में कोई सुधार नहीं हुआ है। उसने हरियाणा में 36 सीटों पर चुनाव लड़ा और उसको सिर्फ 1.82 फीसदी वोट मिले हैं, जबकि 2019 में उसने 89 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसको 4.21 फीसदी वोट मिले। अगर इस बार मिले वोट का 89 सीट के हिसाब से औसत निकालें तो पार्टी को लगभग उतने ही वोट मिले हैं, जितने पिछली बार मिले थे। ऊपर से इस बार के उसके वोट में कुछ हिस्सा इंडियन नेशनल लोकदल का भी है, जिसके साथ मिल कर बसपा ने चुनाव लड़ा था। तभी जब पार्टी का प्रदर्शन नहीं सुधरा तो मायावती नाराज हुईं और कहा कि वे अब आगे से किसी प्रादेशिक पार्टी से तालमेल नहीं करेंगी। हां, बसपा इस बात से खुश हो सकती है कि उसका प्रदर्शन चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी के मुकाबले बेहतर रहा।