यह लाख टके का सवाल है कि हरियाणा में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को विधायक बनाने के लिए विधानसभा की एक सीट का उपचुनाव होगा या मुख्यमंत्री के रूप में उनके छह महीने पूरा करने से पहले ही राज्य में विधानसभा का चुनाव होगा? गौरतलब है कि सैनी विधायक नहीं हैं। वे हरियाणा की करनाल सीट से लोकसभा सदस्य हैं। उनको नियम के मुताबिक मुख्यमंत्री बनने के छह महीने के भीतर विधायक बनना होगा। Haryana Jharkhand by election
यह भी पढ़ें: चुनावी बॉन्ड से क्या पता चलेगा
बिना विधायक बने वे 11 सितंबर 2024 तक मुख्यमंत्री रह सकते हैं। अगर हरियाणा का चुनाव तय समय पर होता है तो उनको विधायक बनना होगा। गौरतलब है कि हरियाणा का चुनाव अक्टूबर-नवंबर में होता है। मौजूदा विधानसभा की पहली बैठक चार नवंबर 2019 को हुई थी। अगर तय समय यानी अक्टूबर-नवंबर में चुनाव होता है तो मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को विधानसभा का चुनाव लड़ना होगा। इसके लिए जरूरी है कि लोकसभा के साथ विधानसभा की एक सीट पर उपचुनाव कराया जाए। Haryana Jharkhand by election
यह भी पढ़ें: क्या सैनी से भाजपा के हित सधेगें?
अगर विधानसभा सीट पर उपचुनाव नहीं होता है और सैनी को ही मुख्यमंत्री बनाए रखना है तो 11 सितंबर से पहले चुनाव की प्रक्रिया पूरी करनी होगी यानी अगस्त में चुनाव कराना होगा। ध्यान रहे जुलाई-अगस्त में बारिश का मौसम होता है और उस समय चुनाव नहीं होते हैं। तो क्या मई-जून में चुनाव होंगे? यह उलझी हुई पहेली है लेकिन अब यह मामला झारखंड से भी जुड़ गया है। झारखंड में एक जनवरी को विधानसभा की गांडेय सीट खाली हुई थी। हेमंत सोरेन तब अपनी पत्नी कल्पना सोरेन को सीएम बना कर इस सीट से चुनाव लड़ाना चाहते थे।
यह भी पढ़ें: खट्टर के बाद किसकी बारी?
लेकिन तब भाजपा ने यह कहते हुए इसका विरोध किया था कि अगर विधानसभा चुनाव में एक साल से कम समय बचा है तो किसी गैर विधायक को शपथ दिलाने से राज्यपाल इनकार कर सकते हैं। लेकिन अब इस बात का कोई मतलब नहीं रहा क्योंकि हरियाणा में विधानसभा चुनाव सात-आठ महीने में होने हैं और राज्यपाल ने गैर विधायक को सीएम की शपथ दिला दी। अब अगर सैनी के लिए उपचुनाव होता है तो झारखंड में गांडेय सीट पर भी उपचुनाव कराना होगा, जहां से कल्पना सोरेन लड़ेंगी। अगर हरियाणा में उपचुनाव नहीं होता है और समय से पहले विधानसभा चुनाव होता है तो महाराष्ट्र और झारखंड का चुनाव भी समय से पहले और उसके साथ ही होगा।