nayaindia Haryana politics हरियाणा के लाल परिवारों का संकट

हरियाणा के लाल परिवारों का संकट

हरियाणा की राजनीति दशकों तक तीन लालों के ईर्द-गिर्द घूमती रही थी। उनके नहीं रहने पर उनके परिवारों का राजनीतिक वर्चस्व कायम रहा। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि तीनों लालों के परिवार राजनीतिक अस्तित्व बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। भाजपा की 10 साल की गैर जाट राजनीति और कांग्रेस की जाट राजनीति ने तीनों परिवारों का अस्तित्व कमजोर किया है। इस बार के लोकसभा चुनाव में तीनों लाल परिवारों में से दो परिवार का कोई सदस्य चुनाव नहीं लड़ रहा है, जबकि एक परिवार के तीन सदस्य एक ही सीट पर किस्मत आजमा रहे हैं। लोकसभा चुनाव के बाद जल्दी ही विधानसभा का चुनाव होने वाला है और उसमें पता चलेगा कि लाल परिवारों का अस्तित्व बना रहता है या और कमजोर होता है।

सबसे पहले चौधरी देवीलाल के परिवार की बात करें तो वे हरियाणा के मुख्यमंत्री औऱ देश के उप प्रधानमंत्री रहे। उनके बेटे ओमप्रकाश चौटाला कई बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने। लेकिन आज स्थित यह है कि देवीलाल के एक बेटे रणजीत चौटाला भाजपा की टिकट पर हिसार से चुनाव लड़ रहे हैं और सीट पर ओमप्रकाश चौटाला के दो बेटों अभय और अजय चौटाला की पत्नी नैना और सुनयना चौटाला भी चुनाव लड़ रहे हैं। इन तीनों का मुकाबला कांग्रेस के जाट उम्मीदवार जयप्रकाश से होगा। चौधरी बंसीलाल की बहू किरण चौधरी विधायक हैं लेकिन उनकी बेटी श्रुति चौधरी को इस बार भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भिवानी सीट से लोकसभा की टिकट नहीं मिलने दी। ऐसे ही भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई पूरे परिवार के साथ कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में गए थे कि उनको हिसार की लोकसभा सीट मिलेगी लेकिन भाजपा ने उन्हें यह सीट नहीं दी।

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