पूर्व उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पद से इस्तीफा देने के चार महीने के बाद सार्वजनिक मंच से बोले हैं। वे भोपाल गए थे, जहां उन्होंने राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ, आरएसएस के विचारक मनमोहन वैद्य की किताब ‘हम और यह विश्व’ का विमोचन किया। इस मौके पर उन्होंने भाषण भी दिया। लेकिन उनका पूरा भाषण सूत्रों में था। वे सिर्फ सूत्र वाक्य बोल रहे थे। हालांकि उनका भाषण आधे घंटे से ज्यादा का था और जब उनके सहयोगियों ने उनको फ्लाइट टाइमिंग की याद दिलाई तो उन्होंने कहा कि वे फ्लाइट की वजह से कर्तव्य से मुंह नहीं मोड़ सकते। यानी वे भाषण देने को कर्तव्य मान रहे थे। यह कर्तव्य उन्होंने सूत्रों में निभाया है। अब सवाल है कि उनके सूत्र वाक्यों को कैसे डिकोड किया जाएगा और कौन करेगा? क्या वे खुद किसी समय इन सूत्रों को डिकोड करेंगे?
उन्होंने अपने भाषण में कहा कि आखिरकार चार महीने बाद बोलने का मौका मिला है लेकिन ‘गला अभी पूरी तरह से खुला नहीं है’। गला पूरी तरह से नहीं खुलने वाली बात बहुत खास है। उनको मौका क्यों नहीं मिल रहा था और गला किन परिस्थतियों के कारण पूरी तरह नहीं खुला है यह सवाल भी अहम है। इसी तरह उन्होंने कहा कि ‘देश ऐसे दौर में है, जहां धारणा और नैरेटिव सच तय करते हैं, भगवान करे कोई नैरेटिव में न फंसे’। देश में क्या नैरेटिव बनाया जा रहा है और क्या सच है यह बहुत अहम है। वे कब इस बारे में बताएंगे, इस पर सबकी नजर रहेगी। इसी तरह उन्होंने एक वाक्य यह बोला कि ‘सोए को जगाया जा सकता है लेकिन सोने का नाटक कर रहे को नहीं जगाया जा सकता है, बल प्रयोग की अलग बात है’। इसका जवाब भी अहम है कि वे किसको जगाना चाह रहे थे, जो सोने का नाटक किए हुए था। बहरहाल, उनके पहले सार्वजनिक भाषण के बाद अब फिर से सबकी दिलचस्पी उनमें पैदा हो गई है। मीडिया से लेकर विपक्ष को उनके अगले भाषण का इंतजार रहेगा, जिसमें वे कुछ सूत्रों को डिकोड कर सकते हैं।


