भाजपा के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा लोकसभा चुनाव से नदारद हैं। उन्होंने पार्टी ने टिकट नहीं दिया है। हालांकि तकनीकी रूप से कह सकते हैं कि उन्होंने चिट्ठी लिख कर पार्टी अध्यक्ष से कहा था कि वे चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं। लेकिन असल में पार्टी ने उनको टिकट नहीं दिया। उसके बाद वे लगभग गायब ही हैं। उन्होंने उनकी जगह लाए गए भाजपा उम्मीदवार के लिए प्रचार नहीं किया है। दूसरी ओर उनके पिता यशवंत सिन्हा अपने क्षेत्र में बैठे हैं और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के लिए काम कर रहे हैं। इस बीच जयंत सिन्हा के बेटे आरिश सिन्हा को लेकर विवाद खड़ा हो गया। उनके बारे में अचानक यह खबर फैल गई कि वे कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। हालांकि यशवंत सिन्हा और जयंत सिन्हा दोनों की ओर से इसका खंडन किया गया है।
असल में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की हजारीबागा लोकसभा के बरही में सभा हुई थी, जिसमें आरिश सिन्हा शामिल हुए। उसके बाद ही यह खबर चली कि वे कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं। लेकिन बाद में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने इसे खारिज कर दिया और कहा कि वे अपने दादा यशवंत सिन्हा के प्रतिनिधि के तौर पर रैली में शामिल हुए थे। गौरतलब है कि यशवंत सिन्हा पिछले कुछ समय से ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस में हैं। सो, उनकी ओर से आरिश सिन्हा बरही में हुई खड़गे की रैली में गए थे। सो, वे भले कांग्रेस में नहीं शामिल हुए हों लेकिन एक अन्य विपक्षी दल की ओर से कांग्रेस की रैली में तो शामिल हुए ही। इसका मैसेज तो मतदाताओं में चला ही गया है और भाजपा को भी इसके पीछे की राजनीति समझ में आ ही गई है।