भारत में सहकारी संघवाद की असली तस्वीर यह है कि देश के राज्य आपस में लड़ने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। राज्यों और केंद्र के बीच तो टकराव चलता ही रहता है लेकिन राज्यों के बीच भी हमेशा किसी न किसी मसले पर टकराव रहता है। पूर्वोत्तर के राज्यों में भौगोलिक सीमा को लेकर बहुत विवाद है और अक्सर खूनी लड़ाई होती रहती है। उनके अलावा राजस्थान और गुजरात में, महाराष्ट्र और कर्नाटक में, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में भी सीमा को लेकर टकराव रहता है। इसके साथ ही एक टकराव गर्मियों में पानी को लेकर रहता है। यह भी हर साल का विवाद है।
किसी जमाने में गर्मियों में तमिलनाडु और कर्नाटक में सबसे ज्यादा विवाद सुनने को मिलता था। लेकिन इस बार शांति रही है और सारी लड़ाई उत्तर भारत में देखने को मिली। देश के उत्तर में और सबसे ऊपर से शुरू करें तो जम्मू कश्मीर ने पंजाब को पानी रोकने की धमकी दी, बल्कि पानी रोक दिया। फिर पंजाब से हरियाणा का पानी रोका और दोनों के बीच खूनखराबे की नौबत आ गई। पंजाब ने भाखड़ा डैम पर पुलिस तैनात कर दी। एक बूंद पानी हरियाणा को नहीं देने का ऐलान किया। जब हरियाणा में पानी नहीं आएगा तो वह दिल्ली के लिए कहां से पानी छोड़ेगा? हालांकि इस बार दिल्ली और हरियाणा की लड़ाई इसलिए नहीं हुई क्योंकि दोनों जगह भाजपा की सरकार है। तभी दिल्ली में यमुना के पानी का स्तर बहुत गिर जाने और जल आपूर्ति प्रभावित होने के बाद भी विवाद नहीं हुआ। अगर अरविंद केजरीवाल की सरकार रहती तो हरियाणा और दिल्ली की जंग भी देखने को मिलती।


