नाम न पूछो बीहड़ का !
बीहड़ तो भूलभुलैया है, वह लापतागंज है, जिसमें मनुष्य के लिए न वर्तमान का अर्थ है, न इतिहास की सुध है और न भविष्य का विचार! सब उबड़खाबड़ है। बदहाली है। भूगोल की बाड़ेबंदी है। राजनीति की लाठी है। खौफ की सिहरन है। और कुंद दिमाग की बेबसी है वही दिल दहशत का मारा। फिर बीहड़ यदि भीड़ की परंपराओं, कुप्रथाओं, खैरात, धर्मादाओं, खामोख्याली में जीने को शापित है तो नाम भारत हो, इंडिया, हिंद, हिंदुस्तान हो या जंबूद्वीप भला बीहड़वासी के लिए कुछ भी होने का क्या अर्थ है! सोचें, नाम भारत है, इंडिया है पर इस संज्ञा का...