दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने भाजपा से लड़ना लगभग बंद कर दिया है। अब उनकी लड़ाई कांग्रेस से है। उनकी पार्टी संसद सत्र में या राष्ट्रीय राजनीतिक मुद्दों पर भाजपा के खिलाफ दिखती तो है लेकिन होती नहीं है। उप राष्ट्रपति के चुनाव में भी तभी खबर आई कि आप के कुल 11 सांसदों में से छह ने क्रॉस वोटिंग की और भाजपा के उम्मीदवार को वोट किया। केजरीवाल के इकलौते सांसद संजय सिंह हैं, जो भाजपा से लड़ते दिखते हैं। केजरीवाल की पार्टी के एक जानकार नेता का कहना है कि असल में केजरीवाल पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए पोजिशनिंग कर रहे हैं, जहां उनको कांग्रेस से लड़ना है।
गौरतलब है कि पंजाब में 2027 के मार्च में विधानसभा का चुनाव होना है। उसमें डेढ़ साल का समय बचा है। वहां भाजपा तीसरे या चौथे नंबर की पार्टी है। केजरीवाल को पता है कि पंजाब में भाजपा और उसके मौजूदा नेतृत्व से बड़ी नाराजगी है। लेकिन अब आप सरकार के खिलाफ भी लोगों की नाराजगी बढ़ रही है। तभी केजरीवाल का प्रयास कांग्रेस को भाजपा जैसा बताने और भाजपा के साथ मिलीभगत के आरोप लगाने की है। इसलिए उन्होंने आरोप लगाया कि नेशनल हेराल्ड मामले में राहुल गांधी या दूसरे कांग्रेस नेताओं की गिरफ्तारी नहीं नहीं हो रही है, जबकि ऐसे मामलों में दूसरे लोगों की गिरफ्तारी हुई है। इसी तरह उन्होंने दिल्ली में कांग्रेस के चुनाव लड़ने पर सवाल उठाते हुए कहा कि भाजपा की मदद करने के लिए कांग्रेस लड़ी थी। उनको पता है कि अगर 2027 के मार्च में पंजाब बचा लिया तो उसी साल के अंत में होने वाले गुजरात चुनाव में उनकी पार्टी कांग्रेस को रिप्लेस करके उसकी जगह ले सकती है।