मल्लिकार्जुन खड़गे ने अध्यक्ष बनने के एक साल बाद अपनी कमेटी बनाई तो पार्टी की पुरानी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री दीपा दासमुंशी को केरल का प्रभारी बनाया और साथ ही तेलंगाना का अतरिक्त प्रभार दिया। तब माना गया था कि दीपा दासमुंशी ज्यादा सक्रिय नहीं होंगी और इन दोनों राज्यों में प्रदेश कमेटी ही कामकाज संभालेगी। पर दासमुंशी केरल पहुंचीं और वहां प्रदेश के नेताओं के साथ उनका विवाद हो गया। पहली ही मीटिंग में प्रदेश अध्यक्ष वीएम सुधीरन के साथ विवाद हुआ। सुधीरन ने पार्टी के नेताओं को निर्देश दिया कि वे अयोध्या में राम मंदिर निर्माण कार्यक्रम में कांग्रेस नेताओं के शामिल होने के मसले पर स्पष्ट बयान नहीं दें और गोलमोल बात करें। वे चाहते थे कि पार्टी के नेता इस पर अस्पष्टता बनाए रखें और जहां तक हो वहां तक यह मैसेज बनवाएं कि कांग्रेस नहीं जा सकती है।
दीपा दासमुंशी इस पर भड़क गईं। उन्होंने कहा कि इस बारे में केरल प्रदेश कमेटी फैसला नहीं कर सकती है और न कोई बयान दे सकती है। उन्होंने कहा कि यह तय करने का काम पार्टी आलाकमान को करना है। इस पर सुधीरन नाराज हो गए और मीटिंग से चले गए। बाद में दीपा दासमुंशी ने यह बात मीडिया को भी बता दी कि सुधीरन बीच मीटिंग में से चले गए हैं। गौरतलब है कि अभी तक केरल की प्रदेश कमेटी अपने हिसाब से काम करती थी। लेकिन अयोध्या के मसले पर अलग अलग राय होने की वजह से विवाद बढ़ेगा। प्रदेश अध्यक्ष सुधीरन के अलावा विधायक दल के नेता वीडी सतीशन भी चाहते हैं कि कांग्रेस आलाकमान अयोध्या के मसले से दूरी बनाए। दोनों ने मीडिया में इस बारे में खुल कर बयान दिए हैं।