पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेना के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ (operation sindoor) के राजनीतिक, आर्थिक इस्तेमाल का काम शुरू हो गया है। कुछ लोग इसका ट्रेडमार्क रजिस्टर करा रहे हैं तो कुछ लोग इस नाम से या इससे मिलते जुलते नाम से फिल्म बनाने में लग गए हैं।
दूसरी ओर पार्टियां इसका राजनीतिक लाभ लेने की रणनीति पर काम कर रही हैं। इस काम में कोई पीछे नहीं रहना चाहता है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ भारतीय जनता पार्टी देशभक्ति के ज्वार का राजनीतिक इस्तेमाल करना चाहती है।
एमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने इस मौके का सबसे बेहतरीन इस्तेमाल किया है। पहलगाम कांड और उसके बाद सेना की कार्रवाई ने ओवैसी को इमेज मेकओवर का मौका दिया है। (operation sindoor)
चुनाव से पहले नेताओं का इमेज मेकओवर
वे अब सबको पसंद आ रहे हैं और सोशल मीडिया में अभियान चल रहा है कि पाक अधिकृत कश्मीर पर कब्जा हो तो ओवैसी को पहला मुख्यमंत्री बनाया जाए।
इसी तरह इमेज मेकओवर का काम तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके सुप्रीमो एमके स्टालिन ने किया है। उन्होंने भी देशभक्ति के माहौल को भुनाने के लिए तिरंगा यात्रा निकाली।
खुद स्टालिन तिरंगा हाथ में लेकर चेन्नई की सड़कों पर उतरे और भारतीय सेना की जयकार की। असल में उनकी छवि सनातन विरोधी के साथ साथ भारत विरोधी भी बनाई जा रही थी। (operation sindoor)
अगले साल मई में तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं उससे पहले उन्होंने अपनी भारत विरोधी होने की छवि बदलने का प्रयास किया है। उनको कितनी कामयाबी मिलती है यह नहीं कहा जा सकता है लेकिन प्रयास में कमी नहीं है।
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