कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी से विपक्ष के नेताओं की शिकायत है। यह शिकायत निजी नहीं है, बल्कि राजनीतिक है। कांग्रेस की सहयोगी पार्टिय़ों के नेता राहुल गांधी की राजनीति देख कर हैरान परेशान हैं। उनको साफ दिख रहा है कि राहुल समूचे विपक्ष का स्पेस अकेले घेरे रहना चाहते हैं। बाकी सहयोगी पार्टियों को और उनके नेताओं को भीड़ के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। कांग्रेस और राहुल के इकोसिस्टम की ओर से ऐसा प्रचार किया जा रहा है, जैसे केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ अकेले राहुल गांधी लड़ रहे हैं। राहुल सारे काम अकेले करते हैं और उसके बाद सोशल मीडिया में वन मैन अपोजिशन का नैरेटिव बनाया जाता है। जैसे उधर से सरकार और सत्तारूढ़ गठबंधन की तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानी उंगली पर गोवर्धन उठा रखा है वैसे ही विपक्ष की ओर से राहुल गांधी ने गोवर्धन उठाया हुआ है। इस नैरेटिव से विपक्ष की कई पार्टियों के बड़े नेता नाराज हैं।
यह नाराजगी मतदाता सूची की गड़बड़ियों को लेकर राहुल गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद और बढ़ गई। राहुल गांधी ने अकेले प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जबकि चुनाव आयोग के विरोध और मतदाता सूची की गड़बड़ियों के खिलाफ विपक्ष की सभी पार्टियां एकजुट हैं और सबकी कुछ न कुछ शिकायतें हैं। तभी कहा जा रहा है कि अगर राहुल गांधी ने सभी विपक्षी पार्टियों के बड़े नेताओं के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस की होती तो वह ज्यादा असरदार होती। ध्यान रहे राहुल की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद एक खुलासा शरद पवार ने किया कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले किसी ने उनको 160 सीटों की जीत की गारंटी की थी और उन्होंने गारंटी देने वाले दो लोगों को राहुल गांधी से मिलवाया भी था। लेकिन बाद में राहुल और पवार दोनों इससे पीछे हट गए थे और उनकी सेवा लेने से इनकार कर दिया था। राहुल की प्रेस कॉन्फ्रेंस में ही इसका भी खुलासा होता तो इसका भी असर होता। ऐसे ही अखिलेश यादव से लेकर ममता बनर्जी और तेजस्वी यादव तक सबको चुनाव आयोग से शिकायत है। लेकिन राहुल ने किसी को अपने साथ नहीं रखा।
विपक्षी पार्टियों को सबसे ज्यादा खुन्नस इस बात की हुई कि राहुल गांधी ने गुरुवार, सात अगस्त को दिन में अकेले प्रेस कॉन्फ्रेंस की और उसी दिन शाम में सभी विपक्षी पार्टियों को अपने घर पर रात्रिभोज का न्योता दिया था तो वहां भी प्रेस कॉन्फ्रेंस वाली पूरी प्रजेंटेशन दिखाई। बाद में अनौपचारिक बातचीत में कई नेताओं ने कहा कि दिन में एक साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करते तो दोबारा वहीं काम करने की जरुरत नहीं पड़ती। ज्यादातर विपक्षी नेताओं ने दिन में ही राहुल का प्रजेंटेशन देख लिया था, जो उन्हें रात में दोबारा देखनी पड़ी। बाद में शुक्रवार को संसद में कई विपक्षी नेताओं ने कहा कि राहुल गांधी चुनाव आयोग के खिलाफ लड़ाई को अपनी निजी लड़ाई बना रहे हैं। वे चाहते हैं कि बाकी विपक्षी पार्टियों उनके पीछे पीछे चलें। उनकी टीम उनको देश के नेता के तौर पर प्रोजेक्ट कर रही है। यह दिखाया जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी हों या चुनाव आयोग हो या अंबानी और अडानी हों सबके खिलाफ अकेले राहुल लड़ रहे हैं। इससे विपक्षी नेता परेशान हैं। उनका कहना है कि वे भी तो इसी तरह से लड़ाई लड़ रहे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि राहुल इन दिनों सहयोगी पार्टियों के नेताओं से मिल भी नहीं रहे हैं। सार्वजनिक कार्यक्रमों में मुलाकात हो रही है लेकिन अलग से वे नेताओं को मिलने का समय नहीं दे रहे हैं। कम्युनिस्ट पार्टी के एक बड़े नेता पिछले कई महीनों से समय मांग रहे हैं लेकिन राहुल ने समय नहीं दिया है।