प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने नवभारत टाइम्स की पत्रकार पूनम पांडे के ख़िलाफ़ पुलिस कार्रवाई की निंदा की है।पांडे को सोमवार शाम दिल्ली के कर्तव्य पथ के पास एक प्रदर्शन को कवर करने के लिए हिरासत में लिया गया था।पीसीआई ने कहा कि पूनम पांडे, जो साउथ ब्लॉक से अपने कार्यालय लौट रही थीं जब वे महिला आरक्षण की मांग कर रही महिला कांग्रेस कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन को कवर करने के लिए रास्ते में रुकी थीं।
बयान में कहा गया, ‘हालांकि, प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने वाले पुलिसकर्मियों ने उन्हें विरोध प्रदर्शन को शूट करने से रोका और बाद में एक पत्रकार के रूप में अपनी पहचान साबित करने और अपना पहचान पत्र दिखाने के बावजूद प्रदर्शनकारियों के साथ उन्हें घेर लिया गया।’
पीसीआई ने कहा कि पत्रकारिता कोई अपराध नहीं है, लेकिन पत्रकारों को चुप कराना निश्चित रूप से लोकतंत्र के खिलाफ अपराध है, किसी महिला पत्रकार को उनके दायित्वों का पालन करने के लिए डराने और हिरासत में लेने तथा शारीरिक बल का उपयोग करके उसे घेरने के मामले में सुरक्षाकर्मियों ने जो किया, उसका असर भयावह हो सकता है।
प्रेस क्लब ने कहा ‘यह कृत्य वर्तमान सत्ता के स्वतंत्र प्रेस के प्रति रवैये की गवाही है। प्रेस क्लब प्रबंधन स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग करता है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या सुरक्षाकर्मियों को उन घटनाओं को कवर करने वाले पत्रकारों को निशाना बनाने का निर्देश दिया गया है, जो सत्ता में बैठे लोगों के लिए परेशानी का कारण बन सकती हैं।’
वहीं, अखिल भारतीय महिला कांग्रेस, जिसके विरोध प्रदर्शन को पांडे कवर कर रही थीं, ने भी पुलिस की कार्रवाई की निंदा करते हुए एक बयान जारी किया।उसने अपने बयान में कहा, ’29 जुलाई को नारी न्याय आंदोलन के विरोध प्रदर्शन के दौरान महिला कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार किया गया, जिसमें उन्हें घसीटना और उनके साथ दुर्व्यवहार करना शामिल था।’