यह संभवतः पहली बार हुआ कि दिल्ली के लोग साफ हवा के लिए सड़क पर उतरे। पानी के लिए तो प्रदर्शन होते रहे थे। हालांकि वह भी साफ पानी के लिए प्रदर्शन अभी तक नहीं हुआ है। अभी तो किसी तरह से पानी के लिए प्रदर्शन होते हैं। पहली बार रविवार, नौ नवंबर को बड़ी संख्या में लोग साफ हवा के लिए प्रदर्शन करने उतरे। सैकड़ों की संख्या में लोग इंडिया गेट पर जमा हुए और उन्होंने वायु प्रदूषण को लेकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। मौके पर पुलिस ने पहुंच कर लोगों को वहां से हटाया। कुछ लोगों को हिरासत में लिया गया। हालांकि बाद में उनको छोड़ दिया गया। ऐसे लोगों की संख्या एक सौ के करीब थी। पुलिस और अधिकारियों के साथ उनकी नोकझोंक हुई थी, जिसके बाद उनको बसों में बैठा कर अलग अलग जगहों पर ले जाया गया था।
ये लोग किसी राजनीतिक दल के कार्यकर्ता नहीं थे, बल्कि सिविल सोसायटी के लोग थे। उनमें बड़ी संख्या में बुजुर्ग थे और बच्चे भी थे। इनके हाथ में प्लेकार्ड्स थे, जिन पर लिखा था कि ये लोग सांस लेने के अपने अधिकार के लिए सड़क पर उतरे हैं। सवाल है कि दिल्ली में हर साल वायु प्रदूषण होता लेकिन इस बार क्यों लोग सड़क पर उतरे? इसका जवाब बहुत आसान है। ऐसे इसिलए हुआ क्योंकि इस बार उनको दिख रहा है कि सरकार प्रदूषण से निपटने के उपाय करने की बजाय आंकड़े छिपाने या दबाने में लगी है। दिल्ली में लोगों का सांस लेना मुश्किल हो रहा है। आंखों में जलन हो रहा है और अस्पतालों में सांस के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है लेकिन सरकार के हवाले से रोज अखबारों में खबर आ रही है कि दिल्ली में धीरे धीरे सुधार हो रहा है। ध्यान रहे वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंचने के बाद भी सरकार ने ग्रैप का तीसरा चरण लागू नहीं किया है।


