राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सक्रियता की कहानियां कही जा रही हैं। वे अचानक राजनीतिक बियाबान से निकल कर सत्ता के गलियारे में घूमने लगी हैं। सवाल है कि इससे क्या बदलेगा? उनकी दो इच्छा है। पहली राजस्थान का मुख्यमंत्री बनना और दूसरी इच्छा है कि उनके बेटे दुष्यंत सिंह को केंद्र में मंत्री बनाया जाए। आखिर वे लगातार चार बार से लोकसभा का चुनाव जीत रहे हैं। भाजपा ने इस बार राजस्थान में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया फिर भी दुष्यंत करीब पौने चार लाख वोट से जीते। खुद वसुंधरा राजे की उम्र 72 साल है और वे राजस्थान विधानसभा की सदस्य भी हैं। वे इशारों में अपने को भगवान राम की तरह वनवास में होने की बात भी कह रही हैं।
वे निःसंदेह राजस्थान भाजपा की सबसे बड़ी नेता हैं लेकिन सवाल है कि क्या उनका वनवास खत्म होगा? उनके समर्थक कुछ दिन पहले उनको उप राष्ट्रपति बनवा रहे थे। फिर कहा गया कि वे भाजपा की पहली महिला अध्यक्ष हो सकती हैं। लेकिन यह भी संभव नहीं लगता है। ध्यान रहे संसद के मानसून सत्र के दौरान उन्होंने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इसके अलावा जोधपुर में जब संघ के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए संघ प्रमुख मोहन भागवत पहुंचे तो उनसे भी वसुंधरा की आधे घंटे की मुलाकात हुई। लेकिन क्या इतनी सक्रियता से बस यह हासिल होगा कि राजस्थान मंत्रिमंडल में उनके कुछ करीबी नेताओं को जगह मिल जाएगी? कहा जा रहा है कि कालीचरण सराफ और श्रीचंद कृपलानी जैसे कुछ विधायकों को सरकार में जगह मिल जाएगी। लेकिन वसुंधरा की सक्रियता निश्चित रूप से इतने भर के लिए नहीं है।