बिहार के गोपालगंज के मनन मिश्रा को भाजपा ने राज्यसभा के लिए उम्मीदवार बनाया है। मंगलवार की शाम को उनके नाम की घोषणा से पहले तक किसी को अंदाजा नहीं था कि ऐसा भी कुछ हो सकता है। बिहार भाजपा के नेता भी पारंपरिक राजनीतिक शैली में अनुमान लगा रहे थे कि किसी राजपूत को उम्मीदवार बनाया जा सकता है। पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह के नाम की चर्चा भी हो रही थी। किसी दलित को उम्मीदवार बनाने की बात भी हो रही थी क्योंकि बिहार से लोकसभा या राज्यसभा में भाजपा का कोई दलित सांसद नहीं है। लेकिन शाम में बार कौंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन मिश्रा के नाम का ऐलान हो गया। सवाल है कि मनन मिश्रा को किस बात का इनाम मिला है?
कहा जा रहा है कि पिछले पांच साल से वे भाजपा के लिए राजनीतिक काम कर रहे थे। जहां भी चुनाव होता था वहां वे जाते थे और कानूनी बिरादरी में भाजपा के लिए प्रचार करते थे। लेकिन उससे ज्यादा यह इनाम पिछले दिनों छह सौ वकीलों से चीफ जस्टिस के नाम चिट्ठी लिखवाने का लग रहा है। गौरतलब है कि इस साल मार्च में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के छह सौ वकीलों ने चीफ जस्टिस को चिट्ठी लिखी, जिसमें उन्होंने लिखा कि एक विशेष समूह न्यायपालिका को प्रभावित करने और उस पर दबाव डालने का काम कर रहा है। इसलिए वकीलों की जिम्मेदारी है कि वे न्यायपालिका के साथ खड़े हों। यह पूरा अभियान बार कौंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन मिश्रा का था। यह चिट्ठी सामने आने के तुरंत बाद खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विट करके कहा कि न्यायपालिका को धमकाने की कांग्रेस की पुरानी आदत है। तभी कहा जा रहा है कि न्यायपालिका के समर्थन और कांग्रेस व उसके इको सिस्टम को कठघरे में खड़ा करने का इनाम उनको मिला है। यह भी कहा जा रहा है कि खुद प्रधानमंत्री ने उनका नाम तय कराया।