राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

यूपी का अभियान दिखावा या हकीकत?

घुसपैठियों का मामला अब उन सभी राज्यों में पहुंच गया है, जहां अगले डेढ़ साल के अंदर चुनाव होने वाले हैं। पिछले साल यह अभियान झारखंड में चला था। इस साल दिल्ली के विधानसभा चुनाव में और फिर बिहार में खूब जोर शोर से चलाया गया। हालांकि एक भी घुसपैठिया झारखंड, दिल्ली और बिहार से निकाले जाने की खबर नहीं है। बिहार में तो मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण यानी एसआईआर का काम भी पूरा हो गया। फिर भी घुसपैठिए नहीं मिले। इसके बावजूद पूरे चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जोर जोर से कहते रहे कि एक भी घुसपैठिए को नहीं छोड़ेंगे। यह अलग बात है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार या उनकी पार्टी जनता दल यू के किसी नेता ने कभी घुसपैठियों का नाम नहीं लिया।

बहरहाल, अब घुसपैठियों का मामला पश्चिम बंगाल, असम और उत्तर प्रदेश में जोर शोर से चल रहा है। इनमें से दो राज्यों पश्चिम बंगाल और असम में अगले साल अप्रैल में चुनाव होंगे, जबकि उत्तर प्रदेश में मार्च 2027 में यानी करीब डेढ़ साल के बाद चुनाव है। बाकी राज्यों के मुकाबले उत्तर प्रदेश में घुसपैठियों के खिलाफ अभियान में कुछ ज्यादा रंग दिख रहे हैं। राज्य में एसआईआर का काम भी चल रहा है और इसके बीच राज्य सरकार ने अपनी तरफ से भी अभियान छेड़ दिया है। मुख्यमंत्री ने राज्य प्रशासन और पुलिस को निर्देश दिया है कि घुसपैठियों की पहचान की जाए और उन्हें एक जगह इकट्ठा किया जाएगा। इसके लिए सभी जिलों में डिटेंशन सेंटर बनाए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री का निर्देश है कि अवैध रूप से उत्तर प्रदेश में रहने वालों की पहचान की जाए और उनको डिटेंशन सेंटर में रखा जाए और फिर वहां से उनको उनके देश भेज दिया जाए।

अब सवाल है कि यह काम कैसे होगा? क्या उत्तर प्रदेश सरकार के पास ऐसी कोई ऑथोरिटी है कि वह नागरिकता की पहचान करके किसी अवैध घुसपैठिए को उसके देश भेज सके? यह केंद्र सरकार का काम है और अगर केंद्र सरकार यह काम करेगी तो वह सिर्फ एक राज्य के लिए क्यों होगा? पिछले कई बरसों से कहा जा रहा है कि भारत में 40 हजार से ज्यादा रोहिंग्या शरणार्थी हैं। जाहिर है यह संख्या अब काफी बड़ी हो गई होगी क्योंकि शरणार्थियों के बच्चे भी हो रहे होंगे। दूसरी बात यह है कि ये रोहिंग्या शरणार्थी देश के कई हिस्सों में फैले हैं। राजधानी दिल्ली से लेकर देश के हर राज्य में भाजपा के नेता बताते हैं कि वहां रोहिंग्या शरणार्थी भर गए हैं। इसके अलावा बांग्लादेशी घुसपैठियों का अलग हल्ला मचा रहता है। पिछले दिनों दिल्ली से सटे एनसीआर के इलाके में खास कर उत्तर प्रदेश के नोएडा और गाजियाबाद में तो हरियाणा के गुरुग्राम में बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान का अभियान शुरू हुआ था। उसे लेकर बहुत विवाद भी हुआ। इसका मुद्दा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बनाया। उन्होंने कहा कि बांग्ला बोलने के कारण पश्चिम बंगाल के लोगों को बांग्लादेशी बता कर उनको परेशान किया जा रहा है। सरकार को इसका आंकड़ा भी सार्वजनिक करना चाहिए कि नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और दिल्ली में घुसपैठियों की पहचान करने के अभियान से क्या हासिल हुआ? कितने घुसपैठिए पकड़े गए और उनमें से कितने को उनके देश भेजा गया? अगर इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी जाती है तो यूपी से लेकर बंगाल और असम में चुनाव से पहले शुरू हुआ अभियान दिखावा ही प्रतीत होगा।

Tags :

By NI Political Desk

Get insights from the Nayaindia Political Desk, offering in-depth analysis, updates, and breaking news on Indian politics. From government policies to election coverage, we keep you informed on key political developments shaping the nation.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *