उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने यह राग अलापना छोड़ दिया था कि पार्टी सरकार से बड़ी होती है। लोकसभा चुनाव के बाद तो उन्होंने यह राग इतनी बार अलापा था कि इसका मजाक बनने लगा था। वैसे सबको पता है कि भारत में सरकार के आगे पार्टी की कोई हैसियत नहीं होती है। सरकार ही बड़ी होती है और मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री सर्वोच्च होते हैं। उनके सामने पार्टी अध्यक्ष की हैसियत कुछ नहीं होती है। यह हकीकत हर पार्टी पर लागू है। बहरहाल, दो तीन महीने की चुप्पी के बाद केशव प्रसाद मौर्य फिर से यह राग अलाप रहे हैं। सवाल है कि उनका मकसद क्या है? इस समय राज्य की नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं, जिस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रतिष्ठा टिकी है। उनकी कुर्सी को लेकर भी जो सवाल उठ रहे हैं उनका जवाब उपचुनाव के नतीजों से मिलना है। उससे पहले उनके उप मुख्यमंत्री ने सरकार को उसकी हैसियत बताने वाले बयान दिए हैं। जाहिर है सरकार और पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं है।
इतना ही नहीं केशव प्रसाद मौर्य ने मुख्यमंत्री के ‘बटेंगे तो कटेंगे’ के नारे से भी कन्नी काट ली है। नौ सीटों पर मतदान से पहले एक इंटरव्यू में उनसे इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के नारे पर उनका टिप्पणी करना ठीक नहीं होगा। हालांकि उसी वाक्य के आगे उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमारे सर्वोच्च नेता हैं और उन्होंने ‘एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे’ का नारा दिया है। कहने का मतलब है कि वे प्रधानमंत्री के नारे पर तो टिप्पणी कर सकते हैं लेकिन मुख्यमंत्री के नारे पर टिप्पणी नहीं करेंगे। इस बीच प्रतियोगिता परीक्षा को लेकर हजारों की संख्या में छात्रों ने प्रयागराज में यूपीपीएससी के कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। योगी आदित्यनाथ की पुलिस ने उन पर लाठी भी चलवाई। अब इस मामले में भी केशव प्रसाद मौर्य ने अपनी सरकार की बजाय छात्रों का पक्ष लिया है और कहा है कि सरकार को छात्रों की मांग पर सहानुभूतिपूर्वक सुनवाई करनी चाहिए।
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