मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्र में दो भारी भरकम मंत्रालय संभाल रहे शिवराज सिंह चौहान क्या बिहार में कोई बड़ी भूमिका निभाने वाले हैं? क्या झारखंड के बाद उनको बिहार में जिम्मा दिया जाएगा? ध्यान रहे वे झारखंड में भाजपा के चुनाव प्रभारी थे लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद वे वहां पार्टी की जीत सुनिश्चित नहीं कर सके थे।
लेकिन अचानक इन दिनों बिहार में उनकी गतिविधियां बढ़ी हैं। उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की चर्चाओं के बीच एकमात्र चुनावी राज्य बिहार में उनके दौरे पर संगठन के लोगों के साथ बैठकों से और भी कयास लगाए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि जेपी नड्डा की जगह शिवराज सिंह चौहान पटना में बैठकें कर रहे हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे की तैयारियों की समीक्षा कर रहे हैं, जो किसी सोची समझी योजना का हिस्सा है।
शिवराज की बिहार में भूमिका और चुनाव प्रभारी अटकलें
गौरतलब है कि शिवराज सिंह चौहान पिछड़ी जाति से आते हैं और बिहार में भाजपा को गैर यादव पिछड़ी जातियों का वोट गोलबंद करने की सबसे बड़ी चिंता है। भाजपा को पता है कि यादव वोट उसे नहीं मिलेगा। फिर भी केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव पिछले दिनों बिहार के दौरे पर गए थे। बिहार के केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय भी मेहनत कर रहे हैं और चुनाव नजदीक आने पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के भी दौरे होंगे। लेकिन असली फोकस गैर यादव पिछड़ी जातियों पर है। इस काम में शिवराज सिंह चौहान का चेहरा काम आ सकता है।
पिछले दिनों शिवराज सिंह चौहान बिहार के दौरे पर गए और उन्होंने 10 जिलों के पार्टी पदाधिकारियों के साथ बैठक की। दोनों उप मुख्यमंत्री यानी सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा उनके साथ थे। कहा गया कि 24 अप्रैल को होने वाली प्रधानमंत्री की यात्रा की तैयारियों के बारे में उन्होंने बैठक की। लेकिन प्रधानमंत्री तो पहले भी बिहार और दूसरे राज्यों में जाते रहे हैं और कोई केंद्रीय मंत्री तैयारी का जायजा लेने नहीं जाता है। इसलिए अटकलें लगाई जा रही हैं कि वे चुनाव प्रभारी बन सकते हैं।
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