बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर कई तरह की खबरें चर्चा में हैं। इन्हीं खबरों की वजह से राहुल गांधी ने उनको फोन किया और लंबी बातचीत की। उसके बाद तेजस्वी यादव ने नीतीश से मुलाकात की। बताया जा रहा है कि नीतीश और लालू दोनों सीट बंटवारे पर बातचीत के लिए तैयार हैं और बिहार सरकार में कांग्रेस कोटे के दो मंत्रियों की जो जगह खाली है उसे भी भरने की सहमति बन गई है। इसके बावजूद नीतीश को लेकर चल रही चर्चाएं थम नहीं रही हैं। बताया जा रहा है कि उन्होंने दिल्ली में ‘इंडिया’ की बैठक के बाद अपने सांसदों के साथ बैठक की तो कहा कि सबका अच्छा होगा, जबकि उनके सांसदों को पता है कि राजद और कांग्रेस के साथ मिल कर लड़ने पर सबका अच्छा नहीं हो सकता है। जदयू के सात से नौ सांसदों की सीटें बदली जाएंगी। यानी कम से कम इतने सांसद बेटिकट होंगे। सभी सांसदों का अच्छा तभी होगा, जब जदयू और भाजपा साथ लडें।
बहरहाल, इन चर्चाओं के बीच एक खबर यह है कि नीतीश कुमार अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को बदल सकते हैं। दिल्ली में 29 दिसंबर को होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नया अध्यक्ष चुना जा सकता है। जानकार सूत्रों का कहना है कि ज्यादा संभावना इस बात की है कि फिर से नीतीश खुद अध्यक्ष बनें। ध्यान रहे संक्रमण के दौर में वे खुद कमान संभालते हैं। शरद यादव के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटने के बाद भी नीतीश अध्यक्ष बने थे और बाद में उन्होंने आरसीपी सिंह को कमान सौंपी थी। बताया जा रहा है कि नीतीश इस बात से नाराज हैं कि उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर सभी पार्टियों को एकजुट किया लेकिन उसके बाद दिल्ली में ढंग से इस बात को नहीं रखा गया, जिससे अभी तक उनको संयोजक नहीं बनाया गया है या प्रधानमंत्री पद के लिए दूसरे नेताओं के नाम की चर्चा हो रही है। इस बीच यह भी कहा जा रहा है कि नीतीश किसी अति पिछड़े नेता को अध्यक्ष बना सकते हैं। तभी राज्यसभा सांसद रामनाथ ठाकुर के नाम की चर्चा हो रही है। वे बिहार के मुख्यमंत्री रहे दिवंगत कर्पूरी ठाकुर के बेटे हैं।