नीतीश कुमार की पार्टी दबाव में है। सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल और मुख्य विपक्षी भाजपा दोनों की ओर से दबाव बनाया जा रहा है। जानकार सूत्रों के मुताबिक राजद के नेता अभी तत्काल तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहे है। इससे महागठबंधन के अंदर अविश्वास बढ़ रहा है। भाजपा इस अविश्वास का फायदा उठाने के प्रयास में लगी है। भाजपा की ओर से नीतीश को लेकर ऐसे प्रचार शुरू कर दिए गए हैं, जिससे राजद में चिंता बढ़ी है और उसके नेता सोचने लगे हैं कि सचमुच अगर नीतीश ने पाला बदल दिया तो क्या होगा? महागठबंधन में अविश्वास बढ़ाने के लिए पिछले दिनों भाजपा ने यह प्रचार कराया कि नीतीश के साथ उनकी बात हो गई है और वे भाजपा का मुख्यमंत्री बनाने को राजी हो गए हैं। यह भी कहा गया कि नीतीश की शर्त है कि सुशील मोदी को भाजपा मुख्यमंत्री बनाए तो वे समर्थन देंगे।
भाजपा ने एक दूसरा प्रचार यह शुरू किया है बिहार में महाराष्ट्र जैसा खेला हो सकता है। पार्टी के तमाम बड़े नेता पिछले दिनों दिल्ली में थे। कोर कमेटी की बैठक दिल्ली में हुई, जिसमें सुशील मोदी से लेकर नित्यानंद राय, संजय जायसवाल, सम्राट चौधरी आदि नेता शामिल हुए। इस बैठक में पता नहीं क्या बात हुई लेकिन बाहर यह प्रचार हुआ कि भाजपा सत्ता बदल की रणनीति पर काम कर रही है। यह प्रचार हो रहा है कि जदयू के 30 से ज्यादा विधायक भाजपा के संपर्क में हैं और बिहार में महाराष्ट्र दोहराया जा सकता है। गौरतलब है जदयू के 45 विधायक हैं और महाराष्ट्र जैसे कुछ करने के लिए 30 विधायकों की जरूरत होगी।
वैसे यह बात नई नहीं है। जब नीतीश कुमार ने एक समय अपने करीबी सहयोगी रहे आरसीपी सिंह को राज्यसभा की सीट नहीं दी थी और उनको केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटना पड़ा था तब भी यह चर्चा हुई थी कि जदयू के 30 से ज्यादा विधायक आरसीपी सिंह के साथ हैं और वे जदयू के एकनाथ शिंदे हो सकते हैं। कहा जा रहा था कि अगर वे जदयू के विधायकों को तोड़ कर लाते तो भाजपा उनको मुख्यमंत्री बना सकती है। हालांकि नीतीश ने समय रहते इस संकट को भांप लिया था और आरसीपी को किनारे कर दिया था।
अभी आरसीपी सिंह क्या कर रहे हैं किसी को पता नहीं है। लेकिन भाजपा के प्रचार का तंत्र यह बात फैलाने में सक्रियता से लगा है कि जदयू के विधायकों को तोड़ कर भाजपा अपनी सरकार बनाएगी। उसी में किसी ने यह अफवाह फैलाई कि आरसीपी सिंह मुख्यमंत्री हो सकते हैं। उसके बाद खुद भाजपा नेताओं की ओर से प्रचार किया गया कि पार्टी का विभाजन और आरसीपी को सीएम बनने से रोकने के लिए नीतीश खुद ही भाजपा के साथ चले जाएंगे लेकिन उनकी शर्त है कि सुशील मोदी को सीएम बनाया जाए। बिहार से दिल्ली तक इस तरह की अफवाहें चल रही हैं और नीतीश हैरान परेशान हैं।