तेलंगाना का मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी कांग्रेस के नए रणनीतिकार के तौर पर उभर रहे हैं। आगे क्या होगा नहीं कहा जा सकता है कि लेकिन उनके राजनीतिक दांवपेंच दिलचस्प होते हैं। सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी को विपक्ष की ओर से उप राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाने का दांव उनका बताया जा रहा है और प्रदेश की राजनीति में विधानसभा की एक जुबली हिल्स सीट जीतने के लिए पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद अजहरूद्दीन को विधान परिषद भेजने का भी उनका दांव चर्चा में है। अब ऐसा लग रहा है कि वे किसी तरह से के चंद्रशेखर राव की पार्टी बीआरएस को भाजपा के खेमे में धकेलने की कोशिश कर रहे हैं ताकि कांग्रेस की राह निष्कंटक हो।
उन्होंने चंद्रशेखर राव की सरकार के जमाने की कालेश्वर लिफ्ट इरिगेशन योजना में हुए कथित भ्रष्टाचार की जांच का मामला सीबीआई को सौंपने का फैसला किया है। उनकी सरकार ने एक लाख 45 हजार करोड़ रुपए की इस योजना में कथित गड़बड़ी का मामला सीबीआई को सौंपने की सिफारिश की है। सीबीआई केंद्रीय जांच एजेंसी है और अगर उसकी जांच में चंद्रशेखर राव और उनका परिवार फंसता है तो रेवंत रेड्डी पर इसका आरोप नहीं लगेगा कि उन्होंने जान बूझकर विपक्ष को निपटाने वाली कार्रवाई की। वह आरोप भाजपा पर लगेगा। लेकिन अगर जांच अटक गई, आगे नहीं बढ़ी और अभी उप राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन का समर्थन बीआरएस ने किया तो रेवंत रेड्डी और कांग्रेस को आगे यह कहने का मौका मिलेगा कि भाजपा और बीआरएस मिल गए। यह आरोप लगेगा कि सीबीआई से बचने के लिए बीआरएस ने भाजपा से समझौता कर लिया। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि सीबीआई जांच से बचने के लिए चंद्रशेखर राव समझौता करने का प्रयास करेंगे। इस तरह दोनों ही स्थितियों में कांग्रेस को फायदा है।