kapil sibbal
पांच राज्यों में चुनाव की घोषणा और कांग्रेस के बागी नेताओं के नए तेवर कांग्रेस पार्टी के लिए नई चुनौतियां पैदा कर रहे हैं।
कांग्रेस आलाकमान से नाराज नेताओं ने शनिवार को जम्मू में शक्ति प्रदर्शन किया। इन असंतुष्ट नेताओं ने अपने शक्ति प्रदर्शन को शांति सम्मेलन का नाम दिया।
कांग्रेस पार्टी में परिवार के प्रति कुछ ज्यादा निष्ठा दिखाने वाले नेताओं ने पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल के ऊपर हमला शुरू कर दिया है
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने माफ करो और भूल जाओ की अपनी उदारता के चलते राष्ट्रीय सुरक्षा पर बनाई एक महत्वपूर्ण नई कमेटी में गुलामनबी आजाद को मनोनीत किया है।
कपिल सिब्बल अपनी पोजिशन को लेकर बहुत अहंकार में रहते हैं। वे बिना शक देश के नंबर एक वकील हैं।
पता नहीं कपिल सिब्बल को जनसंघ नाम याद है या नहीं? पार्टियों के मौजूदा नेताओं-टीवी चैनलों के एंकरों को शायद ही इतिहास ध्यान हो कि 1951 से लेकर 1977 तक भाजपा की पूर्वज जनसंघ पार्टी चुनावों में दो-पांच-बीस-बाईस सीटे जीतती थी।
कांग्रेस पार्टी में कुछ नेता ऐसा हैं, जो हमेशा बागी होने के लिए बैठे रहते हैं। वे मौके का इंतजार करते हैं। कहां पार्टी हारे तो नेतृत्व पर सवाल उठाया जाए। कांग्रेस में पहले ऐसा नहीं होता था।
कांग्रेस अध्यक्ष को चिट्ठी लिख कर नेतृत्व का मुद्दा उठाने वाले 23 लोगों में शामिल रहे कपिल सिब्बल ने एक बार फिर पार्टी नेतृत्व का मुद्दा उठाया है।
बिहार विधानसभा चुनाव के साथ अन्य कई राज्यों के उपचुनावों में कांग्रेस की करारी शिकस्त ने एक बार फिर पार्टी के अंदर के रोष को बाहर ला दिया है।
राज्यसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता गुलाम नबी आजाद ने गुरुवार को एक बार फिर तीखे तेवर दिखाए। उन्होंने कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर चिट्ठी लिखने के फैसले को सही ठहराया और चिट्ठी के लीक हो जाने का भी बचाव किया।