opposition unity

  • सवाल विपक्षी एकता के एजेंडे का

    मुद्दा यह है कि भारत को बीजेपी-आरएसएस के उस शासन से कैसे मुक्ति मिले, जिसकी वजह से समाज में नफरत और विभेद बढ़ रहे हैं तथा कमजोर तबकों पर शासक वर्ग का शिकंजा और अधिक कसता जा रहा है? यह समझ बिल्कुल ठीक है कि विपक्षी दलों की जोड़-तोड़ इस लिहाज से “पर्याप्त” नहीं है। बल्कि इस मकसद में उसका नाकाम साबित होना तय है। इसलिए चिंतिन शिविर में किसी वैकल्पिक दृष्टि पर बात करने का विचार सटीक है। मगर यह वैकल्पिक दृष्टि क्या है? कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपनी मौजूदा अमेरिका यात्रा की शुरुआत 31 मई को सैन...

  • पार्टियों के झगड़े से टली नीतिश की बुलाई बैठक!

    बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए कांग्रेस पार्टी ज्यादा अहम है। इसलिए वे बार बार विपक्षी पार्टियों की बैठक के मामले में कांग्रेस को तरजीह दे रहे हैं। बिहार में 12 जून को होने वाली विपक्षी पार्टियों की बैठक उन्होंने कांग्रेस की वजह से टाली है। बाकी सभी पार्टियां इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए राजी हो गई थीं। सभी नेताओं को यह तारीख सूट कर रही थी। सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी को जरूर 13 जून को केरल में एक कार्यक्रम में जाना था, जिसकी वजह से 12 जून को पटना में रहने में उनको थोड़ी असुविधा...

  • एकता दिखाने की नहीं बनाने की जरूरत

    जदयू के नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने के प्रयास के तहत 12 जून को पटना में एक बड़ी बैठक होने वाली है। इसमें डेढ़ दर्जन विपक्षी पार्टियों के नेता जुटेंगे। दिन भर की बैठक होनी है, जिसमें अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर चर्चा होगी। सवाल है कि इस कवायद से क्या हासिल होगा? खुद नीतीश कुमार की पार्टी का बिहार के बाहर कहीं अस्तित्व नहीं है और बिहार से बाहर किसी दूसरे राज्य में उनके लोकसभा चुनाव लड़ने की स्थिति नहीं है। वे जिन पार्टियों को बैठक के...

  • नीतीश की बैठक में सब पहुंचेंगे

    बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लंबे राजनीतिक करियर में यह पहला मौका है, जब उन्होंने प्रदेश से बाहर की राजनीति की है और देश भर की विपक्षी पार्टियों को एक करने का प्रयास किया है। उनके बुलावे पर देश भर की पार्टियों के नेता पटना पहुंचने वाले हैं। अगर सब कुछ तय योजना के मुताबिक हुआ तो 12 जून को पटना में विपक्ष की बड़ी बैठक होगी। इसमें 18 पार्टियों के नेता हिस्सा ले सकते हैं। नीतीश कुमार ने पूरे देश की यात्रा करके नेताओं को निजी तौर पर आमंत्रित किया है। नीतीश कुछ नेताओं से नहीं मिल पाए...

  • सभी विपक्षी नेताओं से एक राउंड मिलेंगे नीतीश

    देश भर की विपक्षी पार्टियों की एक बैठक बिहार में 17 या 18 मई को हो सकती है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि कई पार्टियों के नेता कर्नाटक चुनाव में बिजी हैं इसलिए चुनाव नतीजों के बाद बैठक रखी जाएगी। सवाल है कि कर्नाटक में चुनाव लड़ रही कई पार्टियों में उन्होंने एचडी देवगौड़ा के परिवार की पार्टी जेडीएस को भी जोड़ा है क्या? कुछ समय पहले जेडीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष एचडी कुमारस्वामी से उनकी मुलाकात हुई थी। कहा जा रहा है कि विपक्ष की बैठक से पहले वे एक बार फिर उनसे मिल सकते हैं या...

  • कर्नाटक चुनाव बाद पटना में विपक्षी एकता पर मंथन: नीतीश कुमार

    पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने शनिवार को संकेत दिया कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद पटना में विपक्षी नेताओं की बैठक हो सकती है। जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के शीर्ष नेता ने कहा कि इस बैठक में विपक्षी एकता (Opposition unity) कायम करने से जुड़े मुद्दे पर चर्चा होने की संभावना है। नीतीश ने कहा, हम निश्चित रूप से एक साथ बैठेंगे और 2024 के लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा BJP) का मुकाबला करने के लिए विपक्षी दलों को एकजुट करने के मुद्दे पर चर्चा करेंगे। उन्होंने कहा, वर्तमान में कुछ नेता...

  • विपक्षी एकता मजबूरी या राष्ट्रहित का कदम…?

    मरता क्या नहीं करता...? भोपाल। यह एकदम सही है कि “इतिहास अपने आप को दोहराता है”, इसका एहसास आज देश की उस बुजुर्ग पीढ़ी को हो रहा है जो आजादी के बाद से अब तक का भारत के राजनीतिक घटनाक्रमों के चश्मदीद गवाह रहे हैं, क्योंकि आज देश में उसी राजनीतिक घटनाक्रमों की पुनरावृत्ति हो रही है, जो आज से करीब 50 साल पहले इंदिरा गांधी के शासनकाल में हुई थी, इंदिरा जी ने आपातकाल देश में घोषित करने के बाद जिस तानाशाही शासन के स्वरूप के दर्शन कराए थे, उससे आज प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी प्रेरणा ग्रहण कर प्रतिपक्ष...

  • ऐसे कैसे बनेगी विपक्षी एकता?

    दिल्ली में सभी विपक्षी पार्टियां एकजुटता बनाने के प्रयास में लगी हैं और उधर कर्नाटक में सब एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं। तभी सवाल है कि आपस में लड़ कर विपक्षी पार्टियां किस तरह की एकता बनवाएंगी? कर्नाटक में शरद पवार की पार्टी एनसीपी 45 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। एनसीपी नेताओं का कहना है कि उनका राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छीन गया है इसलिए वे विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं ताकि वोट हासिल करके राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा वापस लिया जाए। सोचें, उनके लिए कर्नाटक में भाजपा को रोकने की बजाय अपना राष्ट्रीय पार्टी का...

  • घटनाएं विपक्षी एकता बनवा रही हैं

    वैसे तो राजनीति के बारे में माना जाता है कि वहां सब कुछ योजना के तहत होता है लेकिन कई बार कुछ घटनाएं किसी योजना का हिस्सा नहीं होती हैं। वे घटित होती हैं और उनकी वजह से योजना बन जाती है। भाजपा के खिलाफ विपक्षी पार्टियों की एकता बनाने की योजना भी वर्तमान में हो रही घटनाओं की वजह से संभव होती दिख रही है। एक के बाद एक ऐसी घटनाएं हो रही हैं, जिनसे विपक्षी एकता बनने की संभावना बढ़ती जा रही है। सवाल है कि राजनीति की डोर हमेशा अपने हाथ में रखने वाले भाजपा के शीर्ष...

  • एकता के सात फेरे और एक अदरक-पंजा

    अजूबा तभी होगा, जब प्रतिपक्षी राजनीतिक दलों के नेताओं के चेहरे यक-सां होने के साथ-साथ उन सभी के ज़मीनी स्तर के कार्यकर्ताओं के मन भी आपस में घुलमिल जाएं। क्या यह आसान होगा? क्या पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस, मार्क्सवादी पार्टी और कांग्रेस के जन-जन एक-दूसरे के लिए रूह-अफ़ज़ा हो पाएंगे? क्या उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस के पट्ठे गलबहियां कर घूमने लगेंगे? क्या केरल में वाम दलों और कांग्रेस के धरतीपुत्र मिलजुल कर चुनावी खेत में हल चला लेंगे? बुधवार को कांग्रेस-अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व-अध्यक्ष राहुल गांधी से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार...

  • सिर्फ गठबंधन पर्याप्त नहीं है

    अभी तक विपक्षी पार्टियों का गठबंधन तय नहीं हुआ है। उसकी एक मोटी रूप-रेखा उभर रही है लेकिन उसे अंतिम नहीं माना जा सकता है। राहुल गांधी को मानहानि के मामले में सजा होने और लोकसभा की सदस्यता समाप्त किए जाने के तात्कालिक दबाव में विपक्ष ने कांग्रेस के प्रति जो सद्भाव दिखाया है वह कितना टिकाऊ है, यह नहीं कहा जा सकता है। हां, यह जरूर है कि उस घटना ने विपक्ष को एक प्लेटफॉर्म पर लाने की पहल को तेज कर दिया है। लेकिन सवाल है कि क्या विपक्ष एक प्लेटफॉर्म पर आ जाए और एक दर्जन या...

  • लड़ लो सब अलग-अलग.. फिर मोदीजी को छू भी नहीं पाओगे?

    आज होली पर कौन कितना लिखेगा, कहना मुश्किल है। हमें तो एक आइडिया आयातो लिख दिया कि भैया लड़ लो अकेले अकेले। फिर जीवन पर आपस में ही लड़तेरहना। इस बार जीतकर मोदी जी और भाजपा आपकी पहुंच से बहुत ऊपर चले जाएंगे।छू भी नहीं पाओगे।......होली अपने आप में एक मानक है, बैरोमीटर। जिससे मालूम पड़ता है कि बोलो कितना बोल सकते हो, लिख सकते हो, खुश उन्मुक्त रह सकते हो। इस बातकी परवाह किए बिना कि कहीं महाराज को बुरा न लग जाए। ... होली के रंगीन विचारों के बीच यह आइडिया सबका मनभावन है कि 2024 कालोकसभा चुनाव...

  • विपक्षी एकता की मरीचिका

    तमाम पार्टियों के लिए विपक्षी एकता की बात महज एक सियासी दांव है, जिसके जरिए वे भाजपा की सत्ता जारी रहने का दोष अपने माथे से टालना चाहती हैं। इसके आगे वे सिर्फ दूसरे से त्याग की उम्मीद रखती हैं। देश में बुद्धिजीवियों के एक हिस्से में मौजूदा भारतीय जनता पार्टी के राज से मुक्त होने एक बेसब्री है। इसके बीच वे चाहते हैं कि भाजपा विरोधी दल किसी तरह एकजुट हो जाएं, जिससे 2024 के आम चुनाव में वे अगर सीधे तौर पर भाजपा को हरा नहीं पाएं, तो भी वे कुछ ऐसा कर दें, जिससे उसकी सीटों में...

  • विपक्षी एकता का कौन सा मॉडल?

    देश के राष्ट्रीय चुनावों में विपक्षी एकता के वैसे तो कई मॉडल आजमाए गए हैं लेकिन तीन मॉडल सफल हुए हैं। पहला मॉडल 1977 का है, दूसरा 1989 का और तीसरा 2004 का। ये तीनों कई मामलों में बिल्कुल अलग अलग मॉडल थे और समय की जरूरत के हिसाब से बने थे। अब सवाल है कि 2024 में इनमें से कोई मॉडल अपनाया जाएगा या मौजूदा समय के हिसाब से कोई नया मॉडल तैयार होगा? यह सवाल इसलिए है क्योंकि देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनाव में गठबंधन की जरूरत बताने लगी है। विपक्ष के...

  • क्या कांग्रेस विपक्षी एकता के नेतृत्व हेतु सक्षम हैं…?

    भोपाल। देश के सबसे वयोवृद्ध राजनीतिक दल कांग्रेस को अब 3 दिन रायपुर में बैठकर यह आत्मचिंतन करना है कि क्या वह अंगद के पैर की तरह भारतीय राजनीति में अडे नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार से देश को मुक्ति दिलाने और पूरे प्रतिपक्ष का नेतृत्व करने की क्षमता रखती है, और वह अपने आपमें इसके लिए तैयार है? किंतु इस गंभीर आत्मचिंतन से पहले उसे अपने अंदर व्याप्त खामियों को दूर करना पड़ेगा, तभी वह इस कथित दायित्व का निर्वाहन कर पाएगी, यद्यपि आज भावी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार और विपक्षी दल में है कांग्रेस भी राहुल गांधी को...

  • विपक्षी एकता का आधा अधूरा प्रयास

    अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी पार्टियों की रणनीति को लेकर हाल में कई वक्तव्य आए हैं, जिन पर बारीकी से और वस्तुनिष्ठ तरीके से विचार करने की जरूरत है। पहले कांग्रेस पार्टी के तिरूवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने कहा कि अगर हर लोकसभा सीट पर विपक्ष का एक उम्मीदवार हो तो भाजपा को रोका जा सकता है। यह बात पहली बार कांग्रेस के सामने प्रेजेंटेशन देते हुए प्रशांत किशोर ने कही थी। भाजपा को कायदे से टक्कर देने का यह एकमात्र फॉर्मूला है। परंतु मुश्किल यह है कि कांग्रेस यह मान कर बैठी है कि...

  • विपक्षी एकता में बड़ा मोलभाव होगा

    देश की तमाम बड़ी विपक्षी पार्टियों ने कांग्रेस की कश्मीर रैली से दूरी बना कर यह संदेश दे दिया है कि भाजपा के खिलाफ विपक्षी पार्टियों की एकता आसान नहीं होगी। अगर कांग्रेस इसकी पहल करती है तो उसे बहुत मोलभाव करना होगा। राहुल गांधी ने कहा कि विपक्षी पार्टियों में मतभेद हैं लेकिन उनका लक्ष्य एक है और वे एक होंगे। लेकिन उनका एक होना आसान नहीं होगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि विपक्षी पार्टियां कांग्रेस की बड़ी ताकत या लोकप्रियता से चिंता में हैं। उनको लग रहा है कि राहुल गांधी की यात्रा से ताकतवर हुई कांग्रेस उनसे ज्यादा...

  • विपक्षी एकता का प्रयास कौन करेगा?

    बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि तालमेल की बात होगी तभी तो तालमेल होगा। उन्होंने कहा कि एक बार राहुल की यात्रा समाप्त हो जाए तो सब बैठ कर बात करेंगे। बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भी कहा कि सब बैठ कर तालमेल की बात करेंगे। राहुल गांधी ने कहा कि विपक्षी पार्टियों के साथ तालमेल जरूरी है। सोचें, सब तालमेल की बात कर रहे हैं और भाजपा को हराने के लिए इसे जरूरी मान रहे हैं लेकिन प्रयास कौन कर रहा है? इस सवाल को ऐसे भी पूछ सकते हैं कि तालमेल का प्रयास कौन...

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