पार्टियों को खुद सुधार करना होगा
भारत में राजनीतिक दल संविधान, लोकतत्र, संसदीय व्यवस्था, नैतिकता, परंपरा आदि की जितनी बातें करते हैं अगर उसके एक प्रतिशत पर भी अमल करते तो देश की राजनीति ऐसी स्थिति में नहीं पहुंची होती कि उसमें सुधार के लिए लोगों को सर्वोच्च अदालत के पास जाना होता और अदालत को भी नोटिस जारी करना पड़ता! सर्वोच्च अदालत में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें कहा गया है कि अदालत राजनीतिक दलों में बढ़ते भ्रष्टाचार, जातिवाद, सांप्रदायिकता, अपराधीकरण और काले धन को सफेद करने के खेल पर सख्त कार्रवाई करे और राजनीतिक दलों के कामकाज को नियंत्रित करने के लिए...