सरकार और विपक्ष दोनों एक दूसरे के एजेंडे और एक दूसरे की राजनीति से सीख रहे हैं। हर बात पर एक दूसरे का विरोध करने की बजाय पार्टियां एक दूसरे की सफल राजनीतिक एजेंडे को अपना भी रही हैं। हाल के दिनों में दिखा कि कैसे सरकार ने विपक्ष से सीखा और उसके एजेंडे पर आगे बढ़ कर जाति जनगणना का ऐलान कर दिया। इसी तरह यह भी देखने को मिला की विपक्ष ने सरकार से बेवजह टकराव बढ़ाने और भारतीय सेना के अभियान पर सवाल उठाने की बजाय सरकार औऱ सेना का साथ दिया।
समूचा विपक्ष पूरी तरह से सरकार के साथ खड़ा रहा। विपक्ष न सिर्फ सरकार के साथ खड़ा रहा, बल्कि कहता भी रहा है कि वह सरकार के हर फैसले के साथ है। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने अपनी कार्य समिति यानी सीडब्लुसी की बैठक में भी यह कहा कि पहलगाम कांड के बाद से ही पार्टी सरकार के हर कदम का समर्थन कर रही है।
सेना के साथ विपक्ष की एकता
सोचें, इससे पहले विपक्ष का क्या रवैया रहता था! 2016 में भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक की थी। उसके बाद 2019 में सेना ने बालाकोट में एयर स्ट्राइक किया। इन दोनों मौकों पर विपक्ष ने सरकार से सवाल पूछे और विपक्षी नेताओं में इस बात की होड़ लगी थी कि कौन कहां से सबूत जुटा कर सरकार के दावे को गलत साबित कर देता है। विपक्षी पार्टियों के नेता अति उत्साह में सेना का राजनीतिकरण करने लगे और सेना से सवाल पूछने लगे। यहां तक कि पाकिस्तान की ओर से किए जा रहे झूठे सच्चे दावों के आधार पर भारत सरकार और सेना को कठघरे में खड़ा किया गया।
पाकिस्तान के दावे के आधार पर विपक्ष ने कहा कि बालाकोट एयर स्ट्राइक में एक कौवा मरा है और एक पेड़ में आग लगी है। इस तरह की बातों का विपक्ष को बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ा। खासतौर से कांग्रेस को, जिसे उसके बाद लगातार चुनावों में हार मिली। पुलवामा कांड के बाद हुए एयर स्ट्राइक पर सवाल उठा कर कांग्रेस ने अपना बड़ा नुकसान किया। वह लगातार दूसरे लोकसभा चुनाव में मुख्य विपक्षी पार्टी बनने लायक सीटें नहीं जीत सकी।
तभी इस बार कांग्रेस की रणनीति बदली दिखी है। पहलगाम कांड के तुरंत बाद कांग्रेस ने सरकार का साथ देने का ऐलान किया। सरकार की ओर से बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे दोनों शामिल हुए और सरकार का समर्थन किया। इसके बाद सेना ने जब एयर स्ट्राइक की तो आगे बढ़ कर कांग्रेस ने सेना की वाहवाही की और याद दिलाया कि वह पहले दिन से सरकार के साथ खड़ी है। सिर्फ कांग्रेस नहीं, बल्कि हर बात में केंद्र सरकार से लड़ने वाले तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी सरकार और सेना का समर्थन किया।
राजद नेता तेजस्वी यादव और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने वीडियो बना कर सेना की तारीफ की। सभी विपक्षी नेताओं ने सेना की कार्रवाई का न सिर्फ समर्थन किया, बल्कि अपनी तरफ से आगे बढ़ कर उसे सफल करार दिया। किसी ने सवाल पूछने की गलती नहीं की। हालांकि इस बार सेना ने खुद ही सारी तैयारी पहले से कर रखी थी और हर मिसाइल हमले की पूरी वीडियो उसके पास थी। सरकार और सेना की प्रेस कॉन्फ्रेंस में वीडियो भी प्ले किया गया। लेकिन उससे पहले ही विपक्षी पार्टियों ने तय कर लिया था कि उनको सवाल नहीं उठाना है क्योंकि सेना पर सवाल उठाना जनता को पसंद नहीं है।
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