कांग्रेस पार्टी के नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को एक शंकराचार्य ने हिंदू धर्म से निकाल दिया है। वह भी उस शंकराचार्य ने, जो देश की सेकुलर बिरादरी के बड़े चहेते हैं क्योंकि वे लगातार केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसलों की आलोचना करते रहे हैं।
बद्रीनाथ धाम के ज्योतिष मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने राहुल गांधी को हिंदू धर्म से निकालने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने मनुस्मृति का अपमान किया है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने मनुस्मृति को हिंदू जीवन पद्धति का मानक धर्मग्रंथ बताते हुए कहा इसका अपमान करने वाले को हिंदू धर्म में रहने की इजाजत नहीं दी जा सकती है।
राहुल गांधी पर धर्म से बाहर का आरोप
शंकराचार्य की इस घोषणा पर कोई खास प्रतिक्रिया नहीं हुई। वैसे भी हिंदू धर्म में शंकाराचार्यों की भूमिका न तो ईसाई धर्म के पोप की तरह है और न इस्लाम में फतवा जारी करने वाले धर्मगुरुओं की तरह है। शंकराचार्यों की बातों पर आम हिंदू भी कोई खास ध्यान नहीं देता है। इसलिए राहुल को हिंदू धर्म से निकालने का कोई खास मतलब नहीं है और न कोई असर होना है।
वैसे भी हिंदू मान्यता के हिसाब से वे जन्म से हिंदू नहीं हैं, बल्कि प्रैक्टिसिंग हिंदू हैं यानी हिंदू धर्म मानने वाले हैं। उनके दादा फिरोज फरदून जहांगीर पारसी थे। इसलिए असली सवाल यह है कि शंकराचार्य को अचानक क्या सुझी जो उन्होंने मनुस्मृति के नाम पर राहुल को हिंदू धर्म से निकालने का ऐलान किया? धर्माचार्यों में वे अकेले हैं, जिनसे विपक्ष कुछ उम्मीद करता है।
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