Politics

  • पिछड़ी जातियों के वोटों की राजनीति…!

    भोपाल। नाइन इयर के कार्यकाल में प्रधानमंत्री ने अनेक परदेशों के नेत्रत्व को झटका दिया है। पहला झटका उत्तराखंड फिर गुजरात और महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के मुख्य मंत्रियों को लगा। इन लोगों को जिस प्रकार बेबस कर के पैदली मात दी वह उनके अपराजेय व्यक्तित्व का विज्ञापन ही है। अब इस बार उनका निशाना उत्तर प्रदेश के भगवाधारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ है ! हाल में ही हुए पाँच राज्यों मंे से चार में अपनी पार्टी की गिरती साख और आसन्न पराजय का आभास मिलते ही, राहुल गांधी के एजेंडा पिछड़ी जातियों की जनगणना के सामने झुकते हुए बीजेपी शासित राज्यों...

  • मुद्रा-इतिहास के अश्वेत पन्ने का अंतिम संस्कार

    सच्चे बदलाव उन्नीस-बीस का फ़र्क़ वाले लोग नहीं लाया करते। वह तब आता है, जब सचमुच ख़ालिस दूध से धुला कोई नायक सड़ांध मारते खलनायक को ललकारता है। लोग बुरे में ‘कम बुरे’ को चुनने के चक्कर में नहीं पड़ते हैं। जब ऐसा मौक़ा आता है तो वे उन्हें फ़ायदा पहुंचाने वाले ‘ज़्यादा बुरे’ के तंबू में पनाह ले लेते हैं। यही हो रहा है। ईश्वर न करे कि यही होता रहे! दूध का धुला कोई नहीं है। आज की दुनिया में जब दूध ही दूध का धुला नहीं है तो मैं-आप कहां से दूध के धुले हों जाएंगे? सो,...

  • एफआईआर की राजनीति बंद होनी चाहिए

    तमिलनाडु के खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन के सनातन धर्म पर दिए बयान को लेकर बिहार में एक मुकदमा दर्ज हो गया है। हैरानी नहीं होगी अगर उस एफआईआर का मामला अदालत में पहुंचे और अदालत उदयनिधि को हाजिर होने का समन जारी कर दे। बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को मानहानि के एक मुकदमे में गुजरात की एक अदालत में हाजिर होना है। राहुल गांधी के ऊपर महाराष्ट्र के लेकर गुजरात, बिहार, झारखंड तक मुकदमे दर्ज हैं। कांग्रेस के गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवानी के ऊपर असम में मुकदमा दर्ज हुआ और रातों-रात असम की पुलिस उनको गुजरात से...

  • नफरती पार्टियों का सहारा?

    कहा जा सकता है कि जब परंपरावादी पार्टियां लोगों की उम्मीदों को पूरा करने में नाकाम हो रही हैं, तो वैसे में जिन दलों के पास नस्लीय पहचान और नफरत का एजेंडा है, लोग उनकी शरण में जा रहे हैं। दूसरे विश्व युद्ध के बाद से अपने सिस्टम की उदारता के लिए मशहूर यूरोप में एक के बाद एक देश में धुर दक्षिणपंथी ताकतों का राजनीति में प्रभाव क्यों बढ़ता जा रहा है, यह सारी दुनिया के लिए गंभीर विचार मंथन का प्रश्न है। बाकी दुनिया के लिए यह सवाल इसलिए अहम है, क्योंकि अगर यूरोप में ऐसा हो सकता...

  • सत्ता मद और अहिंसा का संकल्प

    क्या गजब हो रहा है। एक तरफ गीता प्रेस, गोरखपुर को समाज में योगदान के लिए गांधी शांति पुरस्कार दिया जाता है, तो दूसरी तरफ गांधी विचार के प्रसार-प्रचार में लगी संस्था सर्व सेवा संघ को जमीन से ही बेदखल किया जा रहा है। ...आखिर क्यों सरकारें अहिंसक जनता को हिंसा से सबक सीखाने का व्यवहार करती हैं? सवाल कई हैं और जवाब देने वाला कोई नहीं। जिस भीड़तंत्र ने दिल्ली दंगों से लेकर बंगाल, राजस्थान, मणिपुर और कर्नाटक तक में हिंसा की चेतावनी दी हो उससे भविष्य में सभी के लिए बचना मुश्किल रहेगा। सत्ता सिर पर चढ़ कर...

  • क्रांतिकारियों की तस्वीरों के सहारे राजनीति

    क्या गजब हो रहा है। एक तरफ गीता प्रेस, गोरखपुर को समाज में योगदान के लिए गांधी शांति पुरस्कार दिया जाता है, तो दूसरी तरफ गांधी विचार के प्रसार-प्रचार में लगी संस्था सर्व सेवा संघ को जमीन से ही बेदखल किया जा रहा है। ...आखिर क्यों सरकारें अहिंसक जनता को हिंसा से सबक सीखाने का व्यवहार करती हैं? सवाल कई हैं और जवाब देने वाला कोई नहीं। जिस भीड़तंत्र ने दिल्ली दंगों से लेकर बंगाल, राजस्थान, मणिपुर और कर्नाटक तक में हिंसा की चेतावनी दी हो उससे भविष्य में सभी के लिए बचना मुश्किल रहेगा। सत्ता सिर पर चढ़ कर...

  • नेता और अपराध: तीन हजार लंबित- नेता निपट जाएंगे… उनके केस नहीं….?

    क्या गजब हो रहा है। एक तरफ गीता प्रेस, गोरखपुर को समाज में योगदान के लिए गांधी शांति पुरस्कार दिया जाता है, तो दूसरी तरफ गांधी विचार के प्रसार-प्रचार में लगी संस्था सर्व सेवा संघ को जमीन से ही बेदखल किया जा रहा है। ...आखिर क्यों सरकारें अहिंसक जनता को हिंसा से सबक सीखाने का व्यवहार करती हैं? सवाल कई हैं और जवाब देने वाला कोई नहीं। जिस भीड़तंत्र ने दिल्ली दंगों से लेकर बंगाल, राजस्थान, मणिपुर और कर्नाटक तक में हिंसा की चेतावनी दी हो उससे भविष्य में सभी के लिए बचना मुश्किल रहेगा। सत्ता सिर पर चढ़ कर...

  • 11 जून को बड़ी राजनीतिक हलचल

    क्या गजब हो रहा है। एक तरफ गीता प्रेस, गोरखपुर को समाज में योगदान के लिए गांधी शांति पुरस्कार दिया जाता है, तो दूसरी तरफ गांधी विचार के प्रसार-प्रचार में लगी संस्था सर्व सेवा संघ को जमीन से ही बेदखल किया जा रहा है। ...आखिर क्यों सरकारें अहिंसक जनता को हिंसा से सबक सीखाने का व्यवहार करती हैं? सवाल कई हैं और जवाब देने वाला कोई नहीं। जिस भीड़तंत्र ने दिल्ली दंगों से लेकर बंगाल, राजस्थान, मणिपुर और कर्नाटक तक में हिंसा की चेतावनी दी हो उससे भविष्य में सभी के लिए बचना मुश्किल रहेगा। सत्ता सिर पर चढ़ कर...

  • ढाई ढाई साल का फॉर्मूला कारगर नहीं

    क्या गजब हो रहा है। एक तरफ गीता प्रेस, गोरखपुर को समाज में योगदान के लिए गांधी शांति पुरस्कार दिया जाता है, तो दूसरी तरफ गांधी विचार के प्रसार-प्रचार में लगी संस्था सर्व सेवा संघ को जमीन से ही बेदखल किया जा रहा है। ...आखिर क्यों सरकारें अहिंसक जनता को हिंसा से सबक सीखाने का व्यवहार करती हैं? सवाल कई हैं और जवाब देने वाला कोई नहीं। जिस भीड़तंत्र ने दिल्ली दंगों से लेकर बंगाल, राजस्थान, मणिपुर और कर्नाटक तक में हिंसा की चेतावनी दी हो उससे भविष्य में सभी के लिए बचना मुश्किल रहेगा। सत्ता सिर पर चढ़ कर...

  • केंद्रीय एजेंसियों पर विपक्ष के आरोप

    क्या गजब हो रहा है। एक तरफ गीता प्रेस, गोरखपुर को समाज में योगदान के लिए गांधी शांति पुरस्कार दिया जाता है, तो दूसरी तरफ गांधी विचार के प्रसार-प्रचार में लगी संस्था सर्व सेवा संघ को जमीन से ही बेदखल किया जा रहा है। ...आखिर क्यों सरकारें अहिंसक जनता को हिंसा से सबक सीखाने का व्यवहार करती हैं? सवाल कई हैं और जवाब देने वाला कोई नहीं। जिस भीड़तंत्र ने दिल्ली दंगों से लेकर बंगाल, राजस्थान, मणिपुर और कर्नाटक तक में हिंसा की चेतावनी दी हो उससे भविष्य में सभी के लिए बचना मुश्किल रहेगा। सत्ता सिर पर चढ़ कर...

  • प्रशांत किशोर की जन सुराज पदयात्रा स्थगित

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  • अगले चरण की आरक्षण राजनीति!

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  • बंगाल, बिहार, झारखंड सरकार पर तलवार!

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  • बिहार और हिंदी पट्टी की राजनीति

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  • राजनीति की बलि चढ़ती जनहित और सुप्रीम कोर्ट की नसीहत

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  • राजनीति में खत्म हुई शालीनता!

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  • बतौर प्रयोगशाला बिहार

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  • क्या सचमुच भाजपा राहुल को हीरो बना रही है

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  • तो कांग्रेस ही राजनीति का मानदंड है!

    क्या गजब हो रहा है। एक तरफ गीता प्रेस, गोरखपुर को समाज में योगदान के लिए गांधी शांति पुरस्कार दिया जाता है, तो दूसरी तरफ गांधी विचार के प्रसार-प्रचार में लगी संस्था सर्व सेवा संघ को जमीन से ही बेदखल किया जा रहा है। ...आखिर क्यों सरकारें अहिंसक जनता को हिंसा से सबक सीखाने का व्यवहार करती हैं? सवाल कई हैं और जवाब देने वाला कोई नहीं। जिस भीड़तंत्र ने दिल्ली दंगों से लेकर बंगाल, राजस्थान, मणिपुर और कर्नाटक तक में हिंसा की चेतावनी दी हो उससे भविष्य में सभी के लिए बचना मुश्किल रहेगा। सत्ता सिर पर चढ़ कर...

  • अफवाहों पर टिकी सियासत

    क्या गजब हो रहा है। एक तरफ गीता प्रेस, गोरखपुर को समाज में योगदान के लिए गांधी शांति पुरस्कार दिया जाता है, तो दूसरी तरफ गांधी विचार के प्रसार-प्रचार में लगी संस्था सर्व सेवा संघ को जमीन से ही बेदखल किया जा रहा है। ...आखिर क्यों सरकारें अहिंसक जनता को हिंसा से सबक सीखाने का व्यवहार करती हैं? सवाल कई हैं और जवाब देने वाला कोई नहीं। जिस भीड़तंत्र ने दिल्ली दंगों से लेकर बंगाल, राजस्थान, मणिपुर और कर्नाटक तक में हिंसा की चेतावनी दी हो उससे भविष्य में सभी के लिए बचना मुश्किल रहेगा। सत्ता सिर पर चढ़ कर...

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