आम आदमी पार्टी की राजनीति नहीं बदलने वाली है। वह पहले की तरह भारतीय जनता और केंद्र सरकार के खिलाफ टकराव की राजनीति जारी रखेगी। अब तो दिल्ली सरकार के खिलाफ भी उसको लड़ना है, जिसका संकेत उसने विधानसभा में दे दिया है। पहले दिन से आम आदमी पार्टी ने टकराव शुरू कर दिया है। उसके पास कामकाज के मुद्दे हैं तो कुछ भावनात्मक मुद्दे भी हैं। जैसे पहले ही दिन आम आदमी पार्टी के विधायकों ने इस बात पर हंगामा किया कि मुख्यमंत्री के कार्यालय में से डॉक्टर भीमराव अंबेडकर और भगत सिंह की तस्वीर हटा दी गई है और वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर लगा दी गई है। इस आधार पर आप ने भाजपा को दलित विरोधी बताया है। इस तरह के मुद्दे आगे भी आते रहेंगे।
आप की टकराव की राजनीति का संकेत इससे भी मिलता है कि उसने पहले दिन से इस बात का विवाद शुरू कर दिया है कि दिल्ली सरकार ने महिलाओं को हर महीने ढाई हजार रुपए देने की योजना शुरू नहीं की है। पहले कहा गया कि भाजपा ने पहली कैबिनेट में इसे मंजूरी देने का वादा किया था लेकिन उसमें इस पर विचार नहीं हुआ। सोचें, आप ने खुद पिछले साल फरवरी में वादा किया था कि महिलाओं को 11 सौ रुपए महीना देंगे। उधर पंजाब में फऱवरी 2022 में वादा किया गया था। यानी पंजाब में तीन साल और दिल्ली में एक साल में उसने यह योजना शुरू नहीं की लेकिन भाजपा की सरकार से पहले दिन झगड़ा शुरू कर दिया। भाजपा ने आठ मार्च से ढाई हजार रुपए देने का ऐलान किया है पर आप को उस समय तक भी इंतजार नहीं करना है। इसका मतलब है कि अरविंद केजरीवाल अब भी पुरानी राजनीति जारी रखने वाले हैं। कहा जा रहा है कि कम से कम पंजाब चुनाव तक यह राजनीति ऐसे ही चलती रहेगी।