पंजाब और हरियाणा के बीच पानी को लेकर पहले भी विवाद होता था, जैसे दिल्ली और हरियाणा के बीच होता है। सभी राज्य एक दूसरे पर पानी रोकने या उसके हिस्से का पानी इस्तेमाल करने के आरोप लगात रहे हैं। इसी तरह का विवाद तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच भी होता है। लेकिन ऐसा कभी सुनने को नहीं मिला कि राज्यों के बीच इतना तनाव हो जाए कि पुलिस की तैनाती होने लगे और बांध प्राधिकरण के लोगों को बंधक बनाया जाने लगे।
इस तरह के फिल्मी डायलॉग भी सुनने को नहीं मिलते थे कि एक बूंद पानी नहीं दिया जाएगा। पानी पर पहरा लगाने और पुलिस, कचहरी की लड़ाई की नौबत भी पंजाब और हरियाणा में शायद ही आती थी। लेकिन इस बार पंजाब सरकार ने भाखड़ा नहर के पानी को लेकर हरियाणा के साथ इसी तरह की लड़ाई छेड़ दी है।
पानी पर पंजाब हरियाणा की टकराहट
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक डायलॉग बोला की हरियाणा के एक बूंद पानी नहीं देंगे। उन्होंने भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड यानी बीबीएमबी को पानी छोड़ने से रोक दिया। वहां पुलिस का पहरा बैठा दिया ताकि कोई पानी नहीं छोड़ सके। यहां तक कि बीबीएमबी के अधिकारियों को बंधक भी बनाया गया। असल में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी दिल्ली की सत्ता से बाहर हो गई है और हरियाणा में किस्मत आजमा कर देख लिया है। वहां उनकी पार्टी के लिए कोई संभावना नहीं है।
इसलिए सारा फोकस पंजाब पर है। पंजाब में हरियाणा का पानी रोक कर केजरीवाल की पार्टी और मुख्यमंत्री मान अपने को पंजाबी हितों का चैंपियन बनाने में लगे हैं। वे पंजाबियों के हित और उनकी अस्मिता का कार्ड खेल रहे हैं। किसानों के आंदोलन को कुचलने के बाद उनके लिए जरूरी हो गया है कि कोई दूसरा भावनात्मक दांव चला जाए। अगर दिल्ली में केजरीवाल की सरकार रहती तो पंजाब कभी पानी नहीं रोकता क्योंकि फिर हरियाणा द्वारा दिल्ली का पानी रोकने का खतरा था। अब आप को इसकी चिंता नहीं है। इसलिए उसने सिर्फ पंजाब की चिंता करने का फैसला किया है। पानी की यह लड़ाई विशुद्ध रूप से 2027 के चुनाव की तैयारी के लिए है।
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