Rajyasabha election
राज्यसभा चुनाव में चार राज्यों में भाजपा के अतिरिक्त उम्मीदवार देने या निर्दलीय उम्मीदवारों को समर्थन देने से कांग्रेस की चिंता बढ़ गई है।
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की बात नहीं मानी। उनके साथ मुलाकात के बाद भी उन्होंने राज्यसभा की सीट कांग्रेस के लिए नहीं छोड़ी।
राज्यसभा का उम्मीदवार तय करने में भाजपा और बिहार की उसकी सहयोगी जदयू के बीच कमाल की शह-मात की राजनीति हुई है।
राज्यसभा का एक मिनी चुनाव होने वाला है। चुनाव आयोग ने आखिरकार छह राज्यों की सात सीटों के लिए उपचुनाव का ऐलान कर दिया है।
भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश से राज्यसभा उम्मीदवारों का नाम घोषित किया तो दिल्ली और लखनऊ दोनों जगह लोग हैरान रह गए। उम्मीदवारों के नाम को लेकर लगाई जा रही सारी अटकलें गलत साबित हो गईं।
चुनाव आयोग ने राज्यसभा की 18 सीटों के लिए चुनाव की घोषणा कर दी है। 19 जून को राज्यसभा की उन 18 सीटों पर चुनाव होगा, जिन पर लॉकडाउन लागू होने के वजह से 26 मार्च को चुनाव नहीं हो सका था।
अप्रैल में रिटायर होने वाले 55 राज्यसभा सदस्यों में से15 भाजपा के और 13 कांग्रेस के हैं| दोनों को तीन-चार सीटों का नुक्सान होगा ,जबकि तृणमूल कांग्रेस और वाईआरएस कांग्रेस की सीटें बढ़ेंगी। कांग्रेस को असम, आंध्र ,तेलंगाना , उड़ीसा , मेघालय , हिमाचल से आठ सीटों का नुक्सान है , जिस की भरपाई इन राज्यों से नहीं हो सकती। कांग्रेस को उम्मींद थी कि राजस्थान से -2, गुजरात से-1 और मध्य प्रदेश से भी 1 सीट ज्यादा मिलने के कारण 4 सीटों की भरपाई हो जाएगी। इस तरह उसके सिर्फ 4 सदस्य घटेंगे , मौजूदा 46 से घट कर 42 हो जाएंगे। लेकिन मध्य प्रदेश और गुजरात ने राज्यसभा के चुनाव दिलचस्प बना दिए हैं| संख्या बल के हिसाब से इन दोनों राज्यों से कांग्रेस को एक एक रिटायर होने वाले सदस्यों के बदले दो-दो सीटों पर जीत होनी चाहिए थी। कर्नाटक की तरह ही भाजपा ने मध्यप्रदेश और गुजरात के कांग्रेस विधायकों से भी इस्तीफे दिला कर अपनी सदस्य संख्या बरकरार रखने की कोशिश को सफल बना लिया है। मध्यप्रदेश से भाजपा के दो सदस्य रिटायर हो रहे हैं और भाजपा की कोशिश है कि वह दोनों सीटें दुबारा जीत कर आए जबकि कांग्रेस अपने एक सदस्य के… Continue reading सांसदी-विधायकी से इस्तीफे की राजनीति
हरियाणा, मध्य प्रदेश और झारखंड की तरह चौथा राज्य गुजरात है, जहां राज्यसभा का चुनाव दिलचस्प हो सकता है। राज्य की खाली हो रही चार सीटों में से दो-दो सीटें कांग्रेस और भाजपा के खाते जाएंगी। पर कहा जा रहा है कि भाजपा तीसरा उम्मीदवार उतार सकती है। अगर भाजपा ने तीसरा उम्मीदवार उतारा तो बहुत दिलचस्प चुनाव हो जाएगा। 182 सदस्यों की गुजरात विधानसभा में भाजपा के 103 और विपक्ष के 77 विधायक हैं। गुजरात में राज्यसभा की एक सीट जीतने के लिए 37 वोट की जरूरत है। इस लिहाज से विपक्ष के दो उम्मीदवार आसानी से जीत जाएंगे और उसके बाद भी उनके पास तीन वोट बचेंगे। दूसरी ओर भाजपा के पास दो उम्मीदवार जिताने के बाद 27 वोट बचेंगे। यानी उसे दस अतिरिक्त वोट का जुगाड़ करना होगा। भाजपा के नेता इस संभावना पर विचार कर रहे हैं कि पार्टी तीसरा उम्मीदवार उतारे। यह भी हो सकता है कि भाजपा किसी निर्दलीय को समर्थन देकर चुनाव में उतारे। ऐसा होने पर चुनाव की नौबत आएगी और तब कांग्रेस या उसके साथ जुड़े निर्दलीय विधायकों में से कुछ के क्रॉस वोटिंग से इनकार नहीं किया जा सकता है।
इस साल राज्यसभा के दोवार्षिक चुनाव हैं। कुल 73 सीटों के लिए वोटिंग होनी है। ज्यादातर सीटें अप्रैल में खाली हो रही हैं, जिनके लिए मार्च में चुनाव होगा। उत्तर प्रदेश की दस सीटों सहित कुछ सीटों पर साल के अंत में चुनाव होना है। इस साल खाली हो रही 73 सीटों में से सबसे ज्यादा 18 सीटें भाजपा की हैं और 17 सीटें कांग्रेस की हैं। फिलहाल राज्यसभा 83 सांसदों के साथ भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है और कांग्रेस सांसदों की संख्या 50 से नीचे होकर 46 रह गई है। आमतौर पर यह धारणा बनी थी कि जल्दी ही भाजपा को राज्यसभा में बहुमत मिल जाएगा। भाजपा नहीं तो कम से कम एनडीए को जरूर बहुमत मिल जाएगा। पर इस साल के दोवार्षिक चुनाव के बाद भी संसद के उच्च सदन की तस्वीर में कोई खास बदलाव नहीं आना है। असल में पिछले 12-13 महीने में हुए विधानसभा चुनावों ने भाजपा या एनडीए को राज्यसभा में बहुमत मिलने की संभावना को खत्म कर दिया है। भाजपा राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पिछले साल सत्ता से बाहर हो गई थी और इस साल महाराष्ट्र व झारखंड की सत्ता से बाहर हो गई है। इससे इन पांच राज्यों में राज्यसभा… Continue reading राज्यसभा में नहीं बदलेगी तस्वीर
राज्यसभा का चुनाव वैसे तो इस बार कई राज्यों में बेहद दिलचस्प होने वाला है पर झारखंड में, जहां सबसे हाल में विधानसभा का चुनाव हुआ है वहां राज्यसभा का चुनाव सबसे दिलचस्प होगा। इसका कारण यह है कि विधानसभा सीटों की संख्या के लिहाज से पार्टियों की स्थिति ऐसी है कि दूसरी सीट के लिए घमासान तय है। राज्य में दो सीटें खाली हो रही हैं। दोनों सीटें कारोबारियों की हैं। एक सीट कांग्रेस के समर्थन से राजद की टिकट पर जीते प्रेमचंद्र गुप्ता की है और दूसरी आजसू व भाजपा के समर्थन से जीते परिमल नाथवानी की है। ये दोनों या कम से कम नाथवानी जरूर एक सीट जीतने के लिए पूरी ताकत लगाएंगे। राज्य में राज्यसभा की एक सी जीतने के लिए 28 वोट की जरूरत है। सत्तारूढ़ गठबंधन यानी झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राजद के 47 विधायक हैं। पर इसके अलावा सरकार को बाबूलाल मरांडी की पार्टी जेवीएम के तीन, सीपीआईएमएल के एक, एनसीपी के एक और निर्दलीय विधायक का समर्थन है। इस तरह सरकार के पास अभी 53 विधायकों का समर्थन है। अगर राज्यसभा चुनाव में यहीं स्थिति रही तो उसे दूसरी सीट जीतने के लिए तीन अतिरिक्त वोट की जरूरत होगी। पर राज्यसभा… Continue reading झारखंड में सबसे दिलचस्प होगा चुनाव
राज्यसभा के चुनाव से पहले कई उम्मीदवारों को लेकर सस्पेंस का माहौल है। जैसे उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के बड़े नेता रामगोपाल यादव रिटायर हो रहे हैं। राज्य में विपक्ष को एक सीट मिलने की पक्की संभावना है और वह सीट सपा को ही मिलेगी। पर सवाल है कि क्या पार्टी फिर से रामगोपाल यादव को ही राज्यसभा में भेजेगी या कोई नया चेहरा ट्राई करेगी? यह सवाल इसलिए उठा है क्योंकि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को भी राज्यसभा में भेजने की चर्चा है। हालांकि खुद अखिलेश लोकसभा सांसद हैं इसलिए कई लोग इस संभावना को खारिज कर रहे हैं। दूसरी सस्पेंस वाली सीट झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा के खाते वाली है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस सीट पर अपने पिता शिबू सोरेन को भेजेंगे या छोटे भाई बसंत सोरेन को? ध्यान रहे जेएमएम के संस्थापक शिबू सोरेन इस बार दुमका लोकसभा सीट से चुनाव हारे हुए हैं, जबकि बसंत सोरेन 2016 के राज्यसभा चुनाव में सहयोगी पार्टी के दो सांसदों की क्रास वोटिंग की वजह से हार गए थे। इस बार यह भी चर्चा है कि हेमंत सोरेन अपनी जीती दो में से एक विधानसभा सीट खाली करेंगे तो… Continue reading कई उम्मीदवारों को लेकर सस्पेंस