राज्यसभा के चुनाव की घोषणा हो गई है। फरवरी के अंत में 56 सीटों के चुनाव हैं। इनमें कांग्रेस और भाजपा दोनों के बारे में अनुमान है कि दोनों अपनी जीती हुई सीटें वापस हासिल कर लेंगे। आंकड़ों के आधार पर यह साफ है कि भारत राष्ट्र समिति को छोड़ कर किसी को नुकसान नहीं होने जा रहा है। समाजवादी पार्टी को जरूर दो सीटों का फायदा होगा। कांग्रेस भी उतने ही सीट हासिल कर लेगी, जितने उसके हैं। लेकिन यह उसकी सहयोगी पार्टियों पर निर्भर है। बिहार और झारखंड में कांग्रेस की सहयोगी पार्टियों ने साथ दिया तो उसे दो सीटें मिल जाएंगी अन्यथा दो सीटों का नुकसान उठाना होगा।
बिहार में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह का कार्यकाल पूरा हो रहा है। राष्ट्रीय जनता दल के दो सांसद रिटायर हो रहे हैं और उसे दो सीटें मिल जाएंगी। उसके बाद उसके पास थोड़े से वोट बचते हैं। लेकिन महागठबंधन में शामिल कम्युनिस्ट पार्टियों के 16 और कांग्रेस के 19 वोट मिला कर जीत का समीकरण बनता है। अगर कम्युनिस्ट पार्टियां और राजद का साथ मिलता है और कांग्रेस नहीं टूटती है तो अखिलेश सिंह फिर से राज्यसभा सांसद बन सकते हैं। झारखंड में धीरज साहू की सीट खाली हो रही है। वे शराब कारोबारी हैं और ईडी के छापे में 536 करोड़ रुपए की नकदी पकड़े जाने के बाद चर्चा में आए हैं। कांग्रेस उनको टिकट नहीं देगी। लेकिन वहां भी कांग्रेस की उम्मीद हेमंत सोरेन पर टिकी है। पिछले दो बार से यानी 2020 और 2022 में झारखंड मुक्ति मोर्चा को राज्यसभा की सीट मिली है। इसलिए इस बार कांग्रेस की बारी है। हालांकि यह भी बताया जा रहा है कि सोरेन ने इस बार गांडेय विधानसभा सीट छोड़ने वाले सरफराज आलम को सीट का भरोसा दिया है। इसलिए कांग्रेस में बेचैनी है।