खेलों से मीडिया का खिलवाड़ !
‘इक्कीसवीं सदी भारत और भारतीय खिलाड़ियों के नाम रहेगी’, पिछली सदी के समापन पर देश के राजनेता और खेल आका इस प्रकार के दावे करते हुए नई सदी में दाखिल हुए थे। लेकिन फुटबॉल, हॉकी, एथलेटिक्स, तैराकी, जिम्नास्टिक, टेनिस, बैडमिंटन और तमाम खेलों में भारतीय आधिपत्य की हुंकार भरने वाले फिलहाल मौन है। साल दर साल और प्रतियोगिता दर प्रतियोगिता हमारे खिलाड़ी अपने श्रेष्ठ को भी नहीं छू पा रहे हैं। तारीफ की बात यह है कि खराब प्रदर्शन और शर्मनाक रिकॉर्ड के लिए अब मीडिया को भी दोषी माना जा रहा है। खासकर, प्रिंट मीडिया अर्थात समाचार पत्र-पत्रिकाओं पर...