पिछले कुछ सालों से देश में खाने पीने की वस्तुओं, अनाज, दूध, घी, तेल आदि- आदि में मिलावट और हेरा फेरी क़े आरोप आम हो गए हैं। जांच पड़ताल से यह निष्कर्ष निकल कर आया है कि पूरा देश भ्र्ष्टाचार क़े समुन्द्र में गोते लगा रहा है। मिलावट हर क्षेत्र में हो रही है, जिसके चलते आम नागरिक का स्वास्थ्य बिगड़ रहा है और उसका चरित्र भी प्रभावित हो रहा है। देश की राजनीति में गन्दगी का घोल सालों पहले मिल चुका था। अब राजनेताओं को शक की नज़र से देखा जाने लगा है।
यहां एक खेल पत्रकार शायद विषय से भटक गया है l उसे इन सब बातों से क्या लेना देना? उसका काम खेलों की खबर लेना और अपने पाठकों तक पहुँचाना है l लेकिन गन्दी राजनीति और मिलावट ने देश क़े खेलों को भी बर्बाद कर दिया है, जिसका बड़ा असर खिलाड़ियों क़े प्रदर्शन पर भी देखा जा सकता हैl यह हाल तब है जबकि उम्र का झूठा आधार परोस कर बड़ी उम्र क़े खिलाड़ी मैदान में उतर रहे हैं
मूल विषय पर जाने से पहले देश में चल रहे चुनाव आयोग क़े क्रिया कलापों और राजनीतिक दलों क़े बीच छिड़े संग्राम पर भी सरसरी नज़र डाल ली जाए l कारण, आम मतदाता क़े वोटर कार्ड, पहचान पत्र और आधार कार्ड पर भी उँगलियाँ उठने लगी हैं l यदि आधार कार्ड, आयु प्रमाण पत्र और वोटर आई कार्ड किसी नागरिक की सही पहचान नहीं क़राते तो भारतीय खेलों की बर्बादी और धोखाधड़ी की बात कुछ कुछ समझ आती हैl
तमाम साधन सुविधाओं और सरकारी सहायता क़े बावजूद भी भारतीय खेल गर्त में धंश रहे हैं क्योंकि ज्यादातर खिलाड़ी उम्र की धोखाधड़ी क़े शिकार हैं l वरना क्या कारण है कि हमारे पहलवान, मुक्केबाज, निशानेबाज, फुटबालर, हॉकी खिलाड़ी, एथलीट, तैराक, तीरन्दाज और अन्य खेलों क़े छोटे आयुवर्गों में तो रिकार्ड टूट रहे हैं लेकिन जैसे ही ओपन वर्ग में दाखिल होते हैं तो बुरी तरह पिट रहे हैं या नशाखोरी क़े शिकार हो रहे हैं l इसलिए क्योंकि बड़ी उम्र क़े खिलाड़ी सब जूनियर और जूनियर में खेल रहे हैं और आधार कार्ड को भी ठेंगा दिखा रहे हैं l अर्थात फर्जी आयु प्रमाण पत्र और आधार कार्ड उनकी असली पहचान बन गए हैं l स्कूल, सब जूनियर और जूनियर में भाग लेने वाले कुछ खिलाड़ी अंतर्राष्ट्रीय आयोजनों में पदक तो जीत रहे हैं लेकिन डोप टेस्ट में पकड़े जाते हैं l बच निकले तो सीनियर वर्ग में पहुँच कर देश का नाम खराब करते हैं l ऐसा इसलिए क्योंकि उम्र की धोखाधड़ी उनका आधार कमजोर कर रही है l सरकारी कागजों पर उनकी उम्र दो से चार पांच साल कम दर्शाई जाती है l
भारतीय खेलों की हालत लगातार खराब हो रही है और हर मोर्चे पर विफलता क़े साथ साथ हमारे खिलाड़ी अपयश कमा रहे हैंl आम भारतीय का सिर शर्म से झुका जा रहा है l भले ही दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र ओलिंपिक आयोजन का दावा कर रहा है लेकिन पहली जरुरत गिरेबान में झाँकने की है l आखिर हम कब तक झूठ, छलावे और धोखाधड़ी को आधार बना कर शेखी बघारते रहेंगे?