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कहाँ हैं पदक विजेता खिलाड़ी?

मुख्यमंत्री जी,

ओलम्पिक गोल्ड जीतने वाले दिल्ली के खिलाड़ी को सात करोड़, सिल्वर जीतने पर पांच करोड़ और ब्रॉन्ज विजेता को तीन करोड़ की पुरस्कार राशि दिए जाने की घोषणा से दिल्ली के खिलाड़ी, कोच और खेल संघों के अधिकारी गदगद हैं। राजधानी के खेल हलकों में आपकी घोषणाओं को लेकर खुशी और उत्साह का माहौल है। इसी प्रकार एशियाड और कॉमनवेल्थ गेम्स के पदक विजेताओं को भी मालामाल करने का ऐलान किया गया है।

खिलाड़ियों को तैयारी के लिए भी बहुत कुछ दिए जाने की आपकी दरियादिली से दिल्ली के खेल मैदानों में उत्साह व्याप्त है और शायद बहुत से खिलाड़ी आज से ही तैयारी में जुट गए हैं। लेकिन सबसे अहम घोषणा खिलाड़ियों को रोजगार देने की है। इसलिए क्योंकि,  हजारों-लाखों बेरोजगार खिलाड़ी खेल मैदान छोड़कर अपराध की दुनिया से जुड़ने के लिए मजबूर हैं।

उन्हें सालों से नौकरी नहीं मिल पाई है l जैसा कि आप जानती होंगी कि 150 करोड़ आबादी वाला भारत दुनिया का बेहद फिसड्डी खेल राष्ट्र है, जिसने सौ साल में मात्र दस स्वर्ण पदक ही जीते हैं। यह तो रही देश की बात l लेकिन दिल्ली  का खेल रिकॉर्ड हमेशा से खराब रहा है। चाहे राष्ट्रीय खेल हों, खेलों की राष्ट्रीय चैम्पियनशिप या अन्य आयोजन दिल्ली कभी भी शीर्ष दस प्रदेशों में नहीं रही है। यदि कभी ऐसा हुआ भी है तो बाहरी खिलाड़ियों के दम पर।

उम्मीद है आपके लुभावने और उत्साहवर्धक प्रयोग से दिल्ली के खिलाड़ियों के आगे बढ़ने और बाजी मारने की संभावना  को बल मिलेगा। एक खिलाड़ी और खेल पत्रकार के रूप में 50 सालों के अनुभव के आधार पर कह सकता हूं कि देश की राजधानी के खेल साल दर साल पिछड़ रहे हैं। इसलिए क्योंकि हर खेल संघ में जंगलराज चल रहा है। ज्यादातर खेल कोर्ट कचहरी में खेले जा रहे हैं, जिसके लिए दिल्ली ओलम्पिक संघ (डीओए) सबसे बड़ी गुनहगार रही है।

उम्मीद है डी ओ ए की अक्ल भी ठिकाने लगाएंगी l  पिछले दिनों उत्तराखंड में आयोजित राष्ट्रीय खेलों में डीओए से खिलाड़ियों, कोचों और खेल संघों को बड़ी शिकायत रही है। शायद  आप तक बात नहीं पहुंच पाई। उन्हें प्रॉपर किट तक नहीं मिल पाई। मुख्यमंत्री जी, आपकी घोषणाओं से दिल्ली के खेलों को नई दिशा मिलने की पूरी-पूरी संभावना है। लेकिन फिलहाल ओलम्पिक गोल्ड-सिल्वर जीतने का माद्दा रखने वाला एक भी खिलाड़ी दिल्ली के पास नहीं है। कुछ पहलवान,  निशानेबाज और अन्य खिलाड़ी अच्छा जरूर कर रहे हैं लेकिन देश की राजधानी के राज्य खेल संघ अपना काम ईमानदारी से नहीं कर रहे l उन पर नकेल डालने की जरूरत है। यदि आज और अभी से सुधार अभियान शुरू किया गया तो दिल्ली देश की खेल राजधानी बन सकती है, जिसका श्रेय आपके सुशासन को जाएगा।

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