सेवा भाव या सत्ता की लालसा?
नेताओं में कमाल का सेवा भाव होता है। वे जनता की, समाज की, देश की सेवा करने को ऐसे आतुर रहते हैं कि जनता भी हैरान परेशान रहती है। नेताओं को हर हाल में सेवा करनी होती है। जनता नहीं चाहे तब भी उनको सेवा करनी होती है। उम्र और सेहत साथ नहीं दे तब भी सेवा करनी होती है। पार्टी टिकट काट दे तो पार्टी बदल कर सेवा करनी होती है। अगर कोई भी पार्टी टिकट नहीं दे तब वे निर्दलीय चुनाव लड़ते हैं ताकि लोगों की और देश की सेवा कर सकें। यह राजनीति का सार्वभौमिक यानी यूनिवर्सल...