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संवाददाता/स्तंभकार/ संपादक नया इंडिया में संवाददता और स्तंभकार। प्रबंध संपादक- www.nayaindia.com राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति के समसामयिक विषयों पर रिपोर्टिंग और कॉलम लेखन। स्कॉटलेंड की सेंट एंड्रियूज विश्वविधालय में इंटरनेशनल रिलेशन व मेनेजमेंट के अध्ययन के साथ बीबीसी, दिल्ली आदि में वर्क अनुभव ले पत्रकारिता और भारत की राजनीति की राजनीति में दिलचस्पी से समसामयिक विषयों पर लिखना शुरू किया। लोकसभा तथा विधानसभा चुनावों की ग्राउंड रिपोर्टिंग, यूट्यूब तथा सोशल मीडिया के साथ अंग्रेजी वेबसाइट दिप्रिंट, रिडिफ आदि में लेखन योगदान। लिखने का पसंदीदा विषय लोकसभा-विधानसभा चुनावों को कवर करते हुए लोगों के मूड़, उनमें चरचे-चरखे और जमीनी हकीकत को समझना-बूझना।
  • लडाकू वक्ता है भारतीय मूल की निक्की!

    रिपब्लिकनों के डिबेट्स जारी हैं। वे विदेश नीति, घरेलू मामलों, दोनों युद्धों में क्या ठीक हो रहा है और क्या गलत, गर्भपात संबंधी अधिकारों, लोकतांत्रिक अधिकारों पर, और एक दूसरे के नीचा दिखाने के लिए बहस कर रहे हैं। हाल में हुई चौथी टीवी बहस व्यक्तिगत टकरावों से शुरू हुई और उन्हीं पर खत्म भी। यह सब डोनाल्ड ट्रंप का विकल्प बनने के लिए किया जा रहा है, जो अब तक हुए एक भी डिबेट में शामिल नहीं हुए हैं। बावजूद इसके उम्मीदवारी की दौड़ में सबसे आगे हैं। इकोनोमिस्ट ट्रेकर के अनुसार ट्रंप के निकटतम प्रतिद्वंद्वी रॉन डीसानटिस उनसे...

  • ब्रिटेनः कुऑ और खाई!

    उनके अपने देश में कल का कोई ठिकाना न था। इसलिए वे एक बेगाने देश में गए। लेकिन वहां भी उनका कोई ठिकाना नहीं है। अमेरिका, यूरोप या ब्रिटेन में शरण चाहने वाले लगभग सभी लोगों की कमोबेश यही कहानी है। ब्रिटेन में यह अनिश्चितता और ज्यादा कष्टपूर्ण बन गई है। ऋषि सुनक की सरकार दुनिया भर से ब्रिटेन आने वाले शरणार्थियों को मध्य अफ्रीका भेजने की योजना पर दृढ है। इस योजना की शुरूआत 2010 में हुई थी। कंजरवेटिव सत्ता में आए और उन्होंने वायदा किया कि शरणार्थियों की संख्या में वृद्धि की दर सालाना एक लाख से कम की...

  • जो बाइडन: कठिन है डगर पनघट की

    अमेरिका एक बड़ा तबका परेशानहाल है। कारण: हाल में हुए जनमत सर्वेक्षणों के नतीजे। जो बाइडन अपने रिपब्लिकन प्रतिद्वंदी डोनाल्ड ट्रंप से पिछड़ रहे हैं। न्यूयार्क टाईम्स और सिएना कालेज के जनमत सर्वेक्षण से मालूम पड़ा कि प्रमुख राज्यों में ट्रंप, बाइडन से 10 पॉइंट आगे हैं। एनबीसी न्यूज द्वारा करवाए गए राष्ट्रस्तरीय जनमत सर्वेक्षण में ट्रंप, बाइडन से बहुत थोड़े अंतर पाए गए। इन परस्पर विरोधी आंकड़ों ने डेमोक्रेटों, बुद्धिजीवियों, अध्येताओं, डेमोक्रेट मतदाताओं और अमरीका के शुभचिंतकों के बीच चिंता की लहर पैदा कर दी है। यह साफ है कि बाइडन में लोगों का भरोसा कम हो रहा है।...

  • यूक्रेनः आल इज़ नॉट वेल!

    आल इज़ नॉट वेल। दिसंबर ज़रा भी खुशनुमा नहीं है। हवा में उदासी और निराशा घुली हुई है। सन् 2023, इतिहास बनने वाला है। दुनिया झमेलों में उलझी हुई है। कई देश मुसीबतों से जूझ रहे हैं। हमें बताया जा रहा है कि लोकतंत्र का भविष्य अंधकारमय है। अर्थव्यवस्थाएं थपेड़े खा रही हैं। दुनिया गर्म, और गर्म होती जा रही है। दो युद्ध जारी हैं। और ऐसा लगता है कि वे 2024 में भी जारी रहेंगे। पिछली सर्दियों में शुरू हुआ रूस-यूक्रेन संघर्ष इन सर्दियों में दम तोड़ता सा लग रहा है। पश्चिमी और अन्य देशों का ध्यान अब इजराइल-हमास...

  • कंट्री में मोदी,स्टेट में भी मोदी!

    जनादेश आ गया है। लोगों ने अपने मन की बात बता दी है। राजस्थान से लेकर मध्यप्रदेश और वहां से लेकर छत्तीगढ़ तक सब तरफ मोदी ही मोदी हैं।प्रदेशों के चुनावों में भी मोदी! क्या यह अजीब है? क्या यह चौकाने वाला है? इन तीनों राज्यों में - चाहे वह शहर हो या गांव, चाहे वोट देने वाला युवा हो या बुजुर्ग, महिला हो या पुरूष – सबके दिल-दिमाग में एक ही चेहरा है, वह जो ‘इंडिया’ को ‘भारत’ बना सकता है।इसलिए ‘प्रधानमंत्री हो तो मोदी हो’।अगले आमचुनाव के ठिक पांच महीने पहले लोगों ने यह साफ कर दिया है...

  • किसिंजर नायक थे तो खलनायक भी!

    कुछ के लिए वे परम पूजनीय थे, तो कुछ उन्हें गालियां देते थे। कुछ के लिए वे उपहास के पात्र थे तो कुछ के लिए श्रद्धा के। और यह आज की बात नहीं है, दशकों पहले भी ऐसा ही थाऔर 2023 में भी ऐसा ही था। हेनरी किसिंजर थे ही ऐसे।बुधवार 29 नवंबर (2023) को हेनरी किसिंजर ने अमेरिका में अंतिम सांस ली।वे इस देश के लिए बाहरी और अप्रवासी थे। वे होलोकॉस्ट (यहूदियों का नरसंहार) का शिकार होने से बच कर अमेरिका पहुंचे थे। किसिंजर का करियर काफी गौरवशाली और चमकीला रहा। वे राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के कार्यकाल में...

  • दुबई की सीओपी बैठक में होगा क्या?

    हम अपनी पृथ्वी का क्या बुरा हाल कर रहे हैं, इस बारे में खतरे की घंटी पेरिस में सन 2015की सीओपी (कांफ्रेंस ऑफ़ पार्टीज) शिखर बैठत में बजा दी गई थी।तब पहली बार दुनिया ने तथाकथित विकास की वजह से जलवायु को हुई हानि की ओर ध्यान दिया। पेरिस सीओपी में अनुमान लगा था कि यदि दुनिया नहीं जागी  और सभी देशों ने आवश्यक नीतिगत फैसले नहीं किए तो सन् 2100 तक ग्लोबल वार्मिंग के कारण तापमान औद्योगिकरण से पहले की तुलना में 3 डिग्री सेंटीग्रेड से भी अधिक बढ़ जाएगा।इसके बावजूद तब कोई ठोस कदम नहीं उठे। बस इतना...

  • राजस्थानः या तो जांत या बालकनाथ!

    एक शब्द में राजस्थान चुनाव 2023 का लबोलुआब है-‘दिलचस्प’, ‘हैरानीभरा’।इसलिए क्योंकि जो पहले माना जा रहा था और जो पुराना ढर्रा था उस पर चुनाव नहीं हुआ है। राजधानी जयपुर के कई पत्रकारों ने पहले से ही धारणाएं बनाई हुई थी।गुलाबी शहर के जवाहर कला केन्द्र की ऊंची दीवारों के बीच वे एक सपाट वाक्य बोलते थे-‘‘हर पांच साल में यहां बदलाव होता है... अब की बार बीजेपी ही आएगी, इसलिए क्या कवर करना?”इस बात में दम भी था। तभी दूर से देखने पर राजस्थान के चुनाव नीरस नजर आ रहे थे। आखिरकार 1998 से लेकर अब तक हर पांच...

  • मेवाड़ से होगी उलटफेर?

    उदयपुर/बांसवाडा। आज मतदान है। और निश्चित ही मेवाड़ में मुकाबलाकांटे का है। उदयपुर, चित्तोडगढ, भीलवाडा व बांसवाड़ा के मेवाड-वाघड़ इलाके में मतदान वैसा नहीं होता लगता है जैसा 2018 या उससे पहले के चुनावों में था। भाजपा बिखरी हुई है। कांग्रेस रामभरोसें है और दोनों पार्टियों के बागियों की पौ-बारह है!तभी पूरे राजस्थान को लेकरमोटा मोटी लगता है कि राजस्थान आज जब वोट डालेगा तो वह पहले के चुनावों से हटकर होगा। पहले के चुनावों में ज्यादातर लोग बदलाव के पक्ष में होते थे, क्योंकि वे या तो राजे की भाजपा से तंग आ चुके होते थे और अशोक गहलोत...

  • गौभक्त जीतेगा या मोदी?

    भीलवाड़ा।बाईस तारीख की रात भीलवाड़ा का माहौल अचानक अफवाहभरा हुआ। चुनाव प्रचार समाप्त होने के एक दिन पहले शहर में जो घटा, वह कतई शुभ नहीं था। कुछ लडकों में हाथापाई हुई। बात बिगड़ी और 16 साल के एक लड़के की मौत हुई और उसके पिता को गंभीर चोटें आईं। पूरे शहर में घटना के पीछे भाजपा उम्मीदवार विट्ठलशंकर अवस्थी बनाम बागी उम्मीदवार अशोक कोठारी के राजनैतिक झगड़े की अफवाह फैली। कुछ लोगों ने इसे एक बड़ी पार्टी के लोगों द्वारा कोठारी समर्थक की हत्या बताया, कुछ के अनुसार यह शहर की शांति भंग करने के लिए किया गया और...

  • सीपी जोशी का काम, वही बाहरी गौरव वल्लभ में दम और खम!

    उदयपुर।राजसमंद जिले के नाथद्वारा में घुसते ही आपको कांग्रेस के वरिष्ठ नेता-स्पीकर सीपी जोशी की विशाल होर्डिंग दिखतीं है। इन होर्डिंग में वे एक भले और सहज मिजाजी नज़र आते हैं। उनके चेहरे पर उनकी ट्रेडमार्क बालसुलभ मुस्कान है। और ऐसा नहीं है वे केवल अपनी मुस्कराहट से काम चलाना चाहते हैं। उन्होंने काम भी किया है। तभी श्रीनाथजी की नगरी अब पहले से ज्यादा चमकदार लगी। साफ़-सफाई बेहतर है और सडकें चौडीं हैं। कई आलीशान होटल और मॉल ऊग आये हैं। मगर फिर भी बताया जा रहा है कि जोशी की राह आसान नहीं है। मैं अमित शाह का...

  • यूनिवर्सिटी चुनाव से भी फीका माहौल!

    डूंगरपुर-बाँसवाड़ा। राजस्थान के इस आदिवासी इलाके में न होर्डिंग हैं, न झंडे और ना ही शोरगुल। शहर में चुनावी सन्नाटा है! मूड कहीं नज़र नहीं आता। बांसवाड़ा के लोग कहते हैं, “इससे ज्यादा इलेक्शन मूड तो यूनिवर्सिटी चुनाव में होता है।” भाजपा इन दो जिलों में योगी से लेकर वसुंधरा तक अपने स्टार प्रचारकों को भेज चुकी है। जबकि कांग्रेस अपेक्षाकृत शांत-निष्क्रिय रही। केवल मुख्यमंत्री गहलोत तीन दिन पहले इस इलाके के कुशलगढ़ आये थे। यह भी पढ़ें: मेवाड़ से होगी उलटफेर? एक स्थानीय पत्रकार का दावा है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों अपने-अपने आतंरिक कारकों और दूसरी पार्टी में...

  • हर 25-50 किलोमीटर पर बदला हुआ मूड!

    नसीराबाद/बांदनवाडा। एक ही प्रदेश, उसमें भी हर जिले में हर 25-50 किलोमीटर पर ही लोगों का मूड बदल जाता है। जैसे बोली बदलती है वैसे लोगों का चुनावी मिजाज बदला हुआ। जाति से जहां केमिस्टी गडबडाती हुईवही गणित लोगों में चुप्पी बनवाए हुए। दौसा के गुर्जर जहांकांग्रेस से नाराज लगे वहीं अजमेर के गुर्जर कांग्रेस की ओर झुके हुए हैं। और जाट तथा राजपूतों के मूडका जहां सवाल है लोकल उम्मीदवार की जाति से मतदाताओं की पार्टीगत वफादारियां बदलते हुई हैं।नसीराबाद में चाय की दुकान पर गपशप कर रहे भंवरलाल ने चुनावी मूड के लबोलुआब में कहा, ‘‘यहां फाईट है”।कस्बे...

  • भीड़ न राजकुमारी (दीया) के लिए और न पीएम (मोदी) के लिए!

    जयपुर। दीया कुमारी का चुनाव प्रचार अल सुबह शुरू हो जाता है। वे सुबह 7 बजे अपने महल से रवाना हो जाती हैं।वे एक वोल्वो कार में चलती हैं और उनके काफिले में दो और कारें रहती हैं। राजकुमारी चाहती हैं कि लोग उन्हें अपना मानें, अपनी बेटी की तरह देखें।मंगलवार को वे सुबह 8 बजे हरमदा की करणी कालोनी पहुंचती हैं और एक नुक्कड़ सभा को संबोधित करती हैं। वहां उन्हें देखने, सुनने और उनसे मिलने के लिए जो थोड़े से लोग इकठ्ठा हैं उनमें कुछ युवा हैं और कुछ वृद्ध। लेकिन जनसमूह के छोटा होने से दीया कुमारी...

  • रंगीले राजस्थान के धोद में लाल परचम!

    सीकर।हर तरफ नारंगी, हरे और सफेद झंडों के बीच अचानक यदि लाल झंडे दिखने लगे तो हैरानी होगीही।  हां, राजस्थान में अभी भी लाल झंडे। सीकर से आगे ज्योंहि धोद में घुसते है तो लाल झंडों और होर्डिंगों की बहार आ जाती है।कम्युनिस्ट लाल झंडे, सीपीआई (एम) के झंडे लहराती कारें, ट्रेक्टर और मोटरसाईकिलें गांवों और सड़कों पर घूमती हुई दिखती हैं। ऐसा दृश्य उत्तर भारत में अब शायद ही कहीं औरदेखने को मिलेगा। लेकिन धोद और उसके आसपास कामरेड लोग चुनावी दंगल में जोरशोर से हिस्सा ले रहे हैं। यहाँ तक कि 2023 का इस जगह मुकाबला दो धुर...

  • सचिन में वह जोश नहीं और “गहलोत तुझसे बैर नहीं…

    सचिन पायलट अपना जोश खो चुके हैं। जो दृढ़ संकल्प और उत्साह मैंने उनमें 2018 के चुनाव के दौरान देखा था वह अब कहीं नजर नहीं आता। उनकी आंखों की चमक फीकी पड़ चली है और चाल में अब वह फुर्तीलापन नहीं है। उनके भाषण छोटे और नीरस हैं। वे कांग्रेस हाईकमान के प्रति शुक्रगुजार तो हैं लेकिन उनके व्यवहार में गुस्सा भी साफ झलकता है। दौसा में राहुल गांधी की सभा में तैनात एक पुलिस कांस्टेबिल ने स्थिति की बहुत बढ़िया व्याख्या की: “सचिन पायलट का मूड नहीं है लड़ने का। और सही भी है। उनके साथ बहुत गलत...

  • ‘फाइट’ तो बतौर धारणा दिमाग में ड्रील!

    भोपाल। ये परसेप्शन का मामला है, भैये। आप चुनाव मैनेजमेंट न करें, कोई बात नहीं। चुनावी गणित पक्ष में न हो, तब भी चलेगा। जनता से केमिस्ट्री न होतो कोई फर्क नहीं पड़ेगा।मगर हां, ज़रूरी है धारणा याकि लोगों में वह परसेप्शन पैदा करना जो वोटिंग के दिन तक कायम रहे। फिजूल है यह सोचना कि धारणा सही है या गलत? मैं पिछले दो हफ़्तों से घूम रही हूँ। पहले छत्तीसगढ़ और उसके बाद मध्यप्रदेश में।और जो समझ में आया वह यह है कि वोटर न तो दुविधा, विभ्रम में हैं और ना लोगों के मन में कोई द्वन्द है।वह न...

  • इंदौर में,कैलाश विजयवर्गीय के लिए मोदी का रोड शौ!

    कैलाश विजयवर्गीय खांटी इंदौरी हैं। वे तब के इंदौरी हैं, जब यह शहर इतना चमकदार, इतना समृद्ध और इतना ग्लैमरस नहीं था।जबकि अब यह शहर जयपुर से कहीं आगे और पुणे से मुकाबले के लिए तैयार है। मेयर के रूप में इंदौर की नई शुरूआत वालों में विजयवर्गीय पहले थे।सो वे सारे शहर को जानते हैं, और सारा शहर उन्हें जानता है। और हकीकत है कि कैलाश विजयवर्गीय ने अपने 40 साल के राजनीतिक करियर में कभी हार का मुंह नहीं देखा। सन् 1990 से लेकर 2013 तक उन्होंने इंदौर शहर की अलग-अलग सीटों से लगातार छह विधानसभा चुनाव लड़े...

  • बुधनी में कुछ खास नहीं पर शिवराज का!

    बुधनी। लाल पत्थर का एक विशाल और भव्य प्रवेशद्वार बुधनी में आपका स्वागत करता है। ऐसे ही द्वार भाजपा के कई आला नेताओं की भी पसंद हैं।इस इलाके को प्रवेश द्वार के अलावा और भी कई चीज़ें बाकी से अलग करती हैं। दीवारें पेंटिंगों से सजी हुई हैं, सड़कें चौडीं हैं और आगंतुकों का स्वागत करते बोर्ड सब तरफ हैं।जाहिर है यह सब बुधनी के खास होने के परिचायक है। राजधानी भोपाल से 70 किलोमीटर दूर राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित बुधनी, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का चुनाव क्षेत्र है। वे किसी चुनाव में यहा आ कर प्रचार नहीं...

  • भोपालः ‘इलेक्शन टाईट’और कंफ्यूजन!

    भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी पहुँचते ही जो पहली बात सुनाई पड़ती है वह है ‘इलेक्शन टाईट है’।उस नाते मध्यप्रदेश में भी चुनावी माहौल छत्तीसगढ़ जैसा ही है। दोनों ही राज्यों में कुछ महीने पहले तक कांग्रेस की आसान जीत होती दिख रही थी, जो पिछले कुछ हफ्तों में ‘कड़ी टक्कर’में बदल गई है।क्या इसे भाजपा के लिए उपलब्धि माने? परवह भाजपा, जिसका भोपाल गढ़ माना जाता रहा है! कांग्रेस अति-आत्मविश्वास में डूबीहुई है जबकि लोगों की बातों में कांग्रेस ‘टाईट इलेक्शन’ में फंसी हुई है। विधानसभा चुनाव-2023 मध्यप्रदेशः ग्राउंड रिपोर्ट प्रदेश में सत्ता विरोधी लहर का हल्ला है। बावजूद इसके भोपाल...

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