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बांग्लादेश में अराजक हाल

Bangladesh Crisis

Bangladesh Crisis: बदलाव के सकारात्मक परिणाम की उम्मीदें गुजरे लगभग तीन हफ्तों में बिखर चुकी हैं। इस दौर में अराजकता जैसी स्थिति बनी रही है। इससे ये धारणा गहरी होती चली गई है कि फिलहाल किसी नई शुरुआत की संभावना नहीं है।

बांग्लादेश में पांच अगस्त को शेख हसीना सरकार के खिलाफ छात्र आंदोलन के सफल होने के बाद देश के जिन हलकों में उम्मीद का माहौल बना, वहां अब मायूसी घर कर रही है। बदलाव के सकारात्मक परिणाम होने की उम्मीदें गुजरे लगभग तीन हफ्तों में बिखर चुकी हैं। इस दौर में अराजकता जैसी स्थिति बनी रही है। शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ प्रतिशोध से प्रेरित हिंसा के जारी रहने से यही धारणा बनी है कि अत्याचार के निशाने भले बदल गए हों, लेकिन देश में फिलहाल किसी नई शुरुआत की उम्मीद नहीं है।(Bangladesh Crisis)

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छात्र संगठन छात्र शिविर से प्रतिबंध हटा

इसी बीच कार्यवाहक सरकार ने जमात-ए-इस्लामी और उसके छात्र संगठन छात्र शिविर पर से प्रतिबंध हटा लेने का एलान किया है। सरकार के मुताबिक इन संगठनों के दहशतगर्दी में शामिल होने के कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं हुआ। इसी बीच एक दशक पहले एक धर्मनिरपेक्ष ब्लॉगर की हत्या के दोषी एक व्यक्ति को भी जेल से इस तर्क पर रिहा कर दिया गया है कि वह अपनी सजा भुगत चुका है।

इन निर्णयों से उचित ही यह सवाल उठा है कि क्या बांग्लादेश के सत्ता तंत्र पर कट्टरपंथी इस्लामी तत्व हावी होते जा रहे हैं। उधर यह धारणा भी बनी है कि बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) बिना सत्ता में हुए सत्ताधारी दल जैसा व्यवहार कर रही है। इस बीच बांग्लादेश के स्वतंत्रता अभियान की धर्मनिरपेक्ष विरासत की वकालत करने वाली किसी शक्ति का अभाव नजर आया है।

बंगबंधु शेख मुजीब से जुड़े ठिकानों और 1971 के स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित स्मारकों को नष्ट करने की घटनाओं के साथ इस शून्यता को जोड़ कर देखा जाए, तो यह आशंका तार्किक नजर आती है कि बांग्लादेश ऐसी डगर पर चल चुका है, जिससे पीछा छुड़ाते हुए वह अस्तित्व में आया था। इस बीच सड़कों पर हिंसक टकराव जारी हैं। अब तक केंद्रीय सत्ता को सख्ती से लागू करने में सहयोग करने को लेकर सेना अनिच्छुक बनी हुई है। पांच अगस्त को भंग हुई पुलिस व्यवस्था अब तक प्रभावी ढंग से बहाल नहीं हो पाई है। इसका असर कारोबारी गतिविधियों पर पड़ा है। कुल मिलाकर देश विकट स्थिति में है।

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By NI Editorial

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