राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

चमक के नीचे अंधेरा?

GST collection

लग्जरी कारों, घड़ियों, जेवरात, मकान और विलासिता की अन्य वस्तुओं की बिक्री में बड़ा इजाफा हुआ है। इन सभी खरीब-बिक्रियों में ऊंचे स्तर पर जीएसटी देना पड़ता है। यह रकम सरकार की तिजोरी में पहुंचती है। जीएसटी की उगाही बढ़ने का यही राज़ है।

वित्त वर्ष 2023-24 में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की उगाही में उछाल आया। अप्रैल 2023 से मार्च 2024 तक जीएसटी के रूप में 20.18 लाख करोड़ रुपये की कुल उगाही हुई। वित्त वर्ष के आखिर महीने यानी बीते मार्च में उगाही में 18.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई। मार्च में उगाही 1.65 लाख करोड़ रुपये रही। साथ ही यह भी बताया गया है कि बीते वित्त वर्ष में यूपीआई भुगतान में 57 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज हुई।

यूपीआई पेमेंट अपने-आप में आर्थिक गतिविधियों के बारे में कोई संकेत नहीं है। यह सिर्फ इस बात का संकेत है कि भारत में अधिक से अधिक लोग नकदी लेन-देन के बजाय ऑनलाइन पेमेंट भुगतान को अपना रहे हैं। टैक्स उगाही का संबंध अवश्य ही आर्थिक गतिविधियों से होता है। अभी जो आंकड़ा सामने है, उसमें यह जानकारी शामिल नहीं है कि जो रकम सरकार की तिजोरी में आई है, उसमें कितनी रकम रिफंड के रूप में वापस चली जाएगी। बहरहाल, भारत में अर्थव्यवस्था का जो स्वरूप उभर रहा है, उसमें जीएसटी या प्रत्यक्ष करों की भी उगाही में बढ़ोतरी कोई असामान्य बात नहीं है।

आर्थिक गैर-बराबरी में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है, तो इसका एक अर्थ यह भी है कि एक छोटे से तबके के हाथ में धन इकट्ठा होने की रफ्तार बढ़ गई है। भारत जैसी बड़ी आबादी वाले देश में ‘छोटे तबके’ में मौजूद जनसंख्या भी अपेक्षाकृत खासी होती है। इस तरह देश में लगभग छह से दस करोड़ लोगों का एक समृद्ध वर्ग उभरा है, जिसके पास लग्जरी वस्तुओं पर खर्च करने के लिए अकूत धन है।

बाजार के आंकड़ों से जाहिर है कि इस तबके की बदौलत भारत में लग्जरी कारों, घड़ियों, जेवरात, मकान और विलासिता की अन्य वस्तुओं की बिक्री में बड़ा इजाफा हुआ है। इन सभी खरीब-बिक्रियों में ऊंचे स्तर पर जीएसटी देना पड़ता है। यह रकम सरकार की तिजोरी में पहुंचती है। लेकिन उसी समय दूसरी सच्चाई यह है कि आम वस्तुओं- यहां तक सामान्य खाद्य पदार्थों के भी उपभोग में गिरावट जारी है। इसलिए जीएसटी आंकड़ों के आधार पर देश की आर्थिक खुशहाली की कहानी बुनने का कोई ठोस आधार नहीं है।

 

यह भी पढ़ें:

शेयर बाजार में डूबे 13 लाख करोड़

खुदरा महंगाई की दर स्थिर रही

Tags :

By NI Editorial

The Nayaindia editorial desk offers a platform for thought-provoking opinions, featuring news and articles rooted in the unique perspectives of its authors.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *