राज्य-शहर ई पेपर व्यूज़- विचार

सीज़र की पत्नी

लोकतंत्र में न्यायपालिका ही वह संस्था है, जिससे लोग संविधान, कानून और पूरी व्यवस्था की रक्षा की उम्मीद रखते हैँ। मगर लगता नहीं कि फिलहाल भारतीय न्यायपालिका सर्व-साधारण की पारदर्शिता संबंधी अपेक्षा का ख्याल कर रही है।

सीज़र की पत्नी को हर तरह के संदेह से ऊपर होना चाहिए। यानी परिजनों समेत राजा को ऐसी कोई धारणा नहीं बनने देनी चाहिए, जिससे उनकी साख पर आंच आए। लोकतांत्रिक युग में ये कहावत अक्सर न्यायपालिका के लिए दोहराई जाती है। इसलिए कि लोकतंत्र में न्यायपालिका ही वह संस्था है, जिससे लोग संविधान, कानून और पूरी व्यवस्था की रक्षा की उम्मीद रखते हैँ। लगता नहीं कि फिलहाल भारतीय न्यायपालिका सर्व-साधारण की पारदर्शिता संबंधी अपेक्षा का ख्याल कर रही है। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस विपुल एम. पंचोली की नियुक्ति के मामले में भी ऐसा नहीं किया गया है। उन्हें सर्वोच्च न्यायालय में लाने के प्रस्ताव पर कॉलेजियम की सदस्य जस्टिस बीवी नागरत्नम्मा ने गंभीर असहमति दर्ज कराई।

उन्होंने उल्लेख किया कि एक बार पहले भी ऐसी आपत्तियों के कारण जस्टिस पंचोली को सुप्रीम कोर्ट में लाने का प्रस्ताव रुक गया था। तब एतराज जस्टिस विक्रम नाथ ने दर्ज कराया था। मगर कुछ महीनों बाद उनकी पदोन्नति का प्रस्ताव फिर से आ गया। इस बात ने भी ध्यान खींचा है कि इस बार जिस रोज 4-1 के बहुमत से कॉलेजियम की हरी झंडी मिली, उसके अगले ही दिन केंद्र ने जस्टिस पंचोली की नियुक्ति की अधिसूचना जारी कर दी। जस्टिस नागरत्नम्मा ने अपने एतराज के पीछे “गंभीर और गहन” कारणों का जिक्र किया। कहा कि जस्टिस पंचोली का गुजरात हाई कोर्ट से पटना हाई कोर्ट में हुआ तबादला सामान्य निर्णय नहीं था।

गौरतलब है कि तब केंद्र ने कॉलेजियम के फैसले पर अमल नौ महीनों तक रोक रखा था। इस पूरी पृष्ठभूमि ने कॉलेजियम और केंद्र के ताजा निर्णय को विवादास्पद बना दिया है। कई अहम सवाल हैं। 2023 में जस्टिस पंचोली का गुजरात हाई कोर्ट से तबादले का निर्णय क्यों हुआ? इस बार कॉलेजियम में जस्टिस नागरत्नम्मा ने उनके बारे में क्या तथ्य पेश किए? क्या इस बारे में जनता को जानने का हक नहीं है? आखिर जस्टिस पंचोली को 2031 में भारत का प्रधान न्यायाधीश बनना है। इसलिए यह अपेक्षा उचित है कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की संबंधित कार्यवाही को सार्वजनिक कर दे, ताकि तथ्यों की रोशनी से संदेह का अंधेरा छंट सके।

By NI Editorial

The Nayaindia editorial desk offers a platform for thought-provoking opinions, featuring news and articles rooted in the unique perspectives of its authors.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *